मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 1 अगस्त 2025 को नई दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल से सौजन्य मुलाकात की, जिसमें बस्तर क्षेत्र की प्रमुख जल परियोजनाओं, विशेषकर बोधघाट बहु‑उद्देशीय बांध परियोजना पर विस्तृत चर्चा हुई।

🧾 चर्चा के मुख्य बिंदु
1. मौजूदा स्थिति और महत्व
- मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर क्षेत्र दशकों से नक्सलवाद और दूरस्थ स्थानों के कारण विकास से वंचित रहा है। वर्तमान सरकार ने इसे प्राथमिकता दी है ताकि विकास और सामाजिक समावेशीकरण हो सके।
- बोधघाट परियोजना को बस्तर की आर्थिक दृष्टि से एक गेम‑चेंजर माना जा रहा है, जिसमें सिंचाई, पेयजल और ऊर्जा उत्पादन की महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ होंगी।
2. परियोजना की विशेषताएँ
- 125 मेगावॉट बिजली उत्पादन, लगभग 8 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, और 4824 टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन की क्षमता इस परियोजना में प्रस्तावित है।
- परियोजना का कुल निवेश अनुमान ₹29,000 करोड़ है; वहीं इंद्रावती‑महानदी लिंक परियोजना सहित कुल ₹49,000 करोड़ से भी अधिक खर्च होने की संभावना है।
3. केंद्रीय जवाब और तकनीकी पहल
- केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की परियोजना संबंधी पहल की सराहना की।
- उन्होंने आश्वासन दिया कि परियोजना की तकनीकी समीक्षा एवं परीक्षण जल्द शुरू करवाया जाएगा, जिससे आगे की मंजूरी व क्रियान्वयन प्रक्रिया को गति मिले।
4. संभावित लाभ**
- यह परियोजना दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा के 269 गांवों को लाभान्वित करेगी। इंद्रावती‑महानदी लिंक योजनाओं से कांकेर सहित लगभग 3 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा पहुंचने की उम्मीद है।
- संपूर्ण रूप से बस्तर क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि, रोजगार सृजन, और सामाजिक स्थिरता के लिए यह परियोजना महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
🧭 निष्कर्ष
- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल के बीच यह बैठक तकनीकी और प्रशासनिक दृष्टि से परियोजना को अगले चरण में ले जाने के लिए अहम मानी जा रही है।
- बोधघाट परियोजना न केवल जल संसाधन प्रबंधन को मजबूत करेगी, बल्कि बस्तर क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय परियोजना के दर्जे के साथ विकास की गति को भी नई ऊँचाइयाँ देगी।