मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट संदेश दिया है कि दूरस्थ क्षेत्रों और विशेष पिछड़ी जनजातियों को विकास की सबसे अधिक आवश्यकता है क्योंकि ये समूह अक्सर प्रारंभिक बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहते हैं। उनका मानना है कि छत्तीसगढ़ की समग्र प्रगति का आधार इन समूहों का विकास ही है।

🌍 दूरस्थ क्षेत्रों और पिछड़ी जनजातियों का फोकस
🏞️ 1. राज्य की भौगोलिक विशेषताएँ और वित्तीय अनुरोध
- सीएम साय ने 16वीं वित्त आयोग से मुलाकात के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण निर्माण लागत अधिक होती है और विकास धीमा होता है। उन्होंने विशेष केंद्रीय अनुदान की मांग की जिससे दूरस्थ आदिवासी इलाकों में आधारभूत सेवाएं — जैसे सड़क, बिजली, स्कूल, अस्पताल और पेयजल — लगाए जाएं।
यह कदम विशेष जनजातीय आबादी और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है।
2. सुशासन और नियद नेल्लानार योजना
- नियद नेल्लानार (Niyad Nellanar) योजना के तहत माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में सार्वजनिक सुविधा योजना के अंतर्गत 17 विभागों द्वारा 53 कल्याणकारी योजनाएं संचालनाधीन हैं। इसके अंतर्गत आवास, सड़क, जलापूर्ति, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की गति से स्थापना की गई है। इससे आदिवासी समाज में जीवन स्तर में सुधार हो रहा है।
3. विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए बजट प्रावधान
- मंत्रालय ने बिरहोर, पहाड़ी कोरवा, बैगा, कमार और अबूझमाड़िया जैसे विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए 300 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है। इससे उनके लिए पक्के घर, स्वच्छ पेयजल, रोजगार, शिक्षा और स्थानीय भाषाओं में किताबें जैसी सुविधाएँ सुनिश्चित की जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने इन बस्तियों का दौरा कर योजनाओं के प्रभाव का जायजा भी लिया।
🛠️ दूरदराज़ आदिवासी इलाकों में विकास के प्रमुख आयाम
🔌 4. डिजिटल और संचार सुविधाओं का विस्तार
- दूरस्थ बस्तर एवं नक्सल प्रभावित इलाकों में 400 से अधिक BSNL टावर स्थापित किए जा रहे हैं ताकि 4G कनेक्टिविटी मिले, जिससे वहां के निवासी डिजिटल शिक्षा, ऑनलाइन न्याय (ऑनलाइन गवाही) और सरकारी सेवाओं से जुड़ सकें।
इससे न्यायिक प्रणाली और शासकीय योजनाओं तक उनकी पहुँच मजबूत होती है।
🚘 5. बुनियादी ढांचा एवं सड़क परियोजनाएं
- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ बैठक में मुख्यमंत्री साय ने ₹7000 करोड़ की सड़क परियोजना की मंजूरी ली, जिसमें राजमार्गों का चौड़ीकरण और नई सड़कें शामिल हैं। इससे दूरदराज के आदिवासी इलाकों में आवागमन सुगम बनता है।
इसका पालन ‘अंजोर Vision 2047’ यानी समावेशी एवं टिकाऊ विकास के तहत किया जा रहा है।
🎯 6. बस्तर का समग्र विकास एवं नक्सलवाद समाप्ति लक्ष्य
- मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा से जुड़ा आदिवासी हृदयस्थल है, जिसे मार्च 2026 तक नक्सलवाद मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
इसके बाद पर्यटन, वनोपज उद्योग, पशुपालन एवं स्थानीय उद्यमिता जैसे स्रोतों से समावेशी आर्थिक विकास प्रारंभ होगा।
🌱 सामाजिक परिणाम & जन सहभागिता
- मुदवेन्दी गाँव (बीजापुर) में नियद नेल्लानार योजना के अंतर्गत बिजली, मेडिकल सुविधाएँ, सुरक्षित सड़क और स्कूल की व्यवस्था की गई। इससे स्थानीय जीवन स्तर में उल्लेखनीय बदलाव आया है और सामुदायिक सुरक्षा का भाव मजबूत हुआ है।
सर्वप्रिय खबर यह है कि “दूरस्थ आदिवासी गांवों में अब रात को रोशनी है, स्कूल खुल गए हैं”—यह सुशासन की प्रभावशीलता दर्शाता है।
The Times of India
✅ सारांश प्रस्तुतिकरण
विशेषता | विवरण |
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भूमिका | दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों और विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास पर केंद्रित नीति एवं बजट |
मुख्य योजनाएँ | नियद नेल्लानार, जनमन योजना, डिजिटल कनेक्टिविटी, सड़क परियोजनाएँ |
लक्ष्य | मार्च 2026 तक नक्सलवाद समाप्त करना, गरीबों को सशक्त करना |
प्रभाव | बुनियादी सुविधाओं का विस्तार, शिक्षा-स्वास्थ्य का सुधार, रोजगार सृजन, सामाजिक समावेश |
निजी बजट पहल | विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए ₹300 करोड़ प्रावधान |
🎯 निष्कर्ष
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का यह सोच स्पष्ट है कि समावेशी विकास तभी संभव है जब दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों और विशेष पिछड़ी जनजातियों को हीन स्थितियों से बाहर निकालकर मुख्यधारा से जोड़ा जाए। उनके नेतृत्व में इन समूहों पर केंद्रित योजनाएं आसानी, समावेशिता और न्यायसंगत विकास सुनिश्चित कर रही हैं।