कार्यक्रम का विवरण
- अवसर: ‘ज्ञान धारा – शिक्षा संवाद’
- आयोजक: हरिभूमि और आईएनएच मीडिया समूह
- स्थान: राजधानी रायपुर
- मुख्य अतिथि: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
मुख्यमंत्री का संबोधन – प्रमुख बिंदु
- शिक्षा राष्ट्र निर्माण की बुनियाद
- मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि उनकी सरकार शिक्षा को केवल एक विभाग नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण की नींव मानती है।
- उन्होंने शिक्षा को सामाजिक-आर्थिक प्रगति का मूल आधार बताया।

- जिम्मेदारी संभालते ही प्राथमिकता
- श्री साय ने बताया कि शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभालते ही उन्होंने विभाग की गहन समीक्षा की।
- समीक्षा बैठक में राज्य की वास्तविक स्थिति का आकलन किया गया।
- शिक्षक-छात्र अनुपात में असमानता
- समीक्षा से यह निष्कर्ष निकला कि शिक्षक-छात्र अनुपात राष्ट्रीय औसत से बेहतर होने के बावजूद वितरण असमान है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों की संख्या अधिक है, लेकिन वहां शिक्षकों की कमी है।
- वहीं शहरी क्षेत्रों में शिक्षक अपेक्षाकृत अधिक संख्या में पदस्थ हैं।
- युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया
- इस असंतुलन को दूर करने के लिए सरकार ने युक्तियुक्तकरण (Rationalization) की प्रक्रिया शुरू की।
- इसके अंतर्गत शिक्षकों की नई तैनाती और पुनर्विन्यास किया गया ताकि हर स्कूल में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध हों।

- परिणाम और प्रभाव
- मुख्यमंत्री ने कहा, अब छत्तीसगढ़ का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है।
- इसे इतना प्रभावी तरीके से लागू किया गया कि इरकभट्टी जैसे गांवों में वर्षों से बंद पड़े स्कूल पुनः शुरू हो गए।
- इससे ग्रामीण शिक्षा प्रणाली में नई जान आई और छात्रों को पढ़ाई के बेहतर अवसर मिले।
महत्व
- ग्रामीण और शहरी शिक्षा के बीच संतुलन: यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए बड़ा लाभकारी सिद्ध होगा।
- बंद स्कूलों का पुनः संचालन: लंबे समय से बंद विद्यालयों के चालू होने से शिक्षा का दायरा बढ़ा।
- राज्य की शिक्षा नीति में सुधार: यह उदाहरण शिक्षा सुधार के ठोस और परिणाममुखी दृष्टिकोण का संकेत है।