एक महिला ने नदी पारकर अस्पताल जाने का कठिन सफर तय किया और गवाही दी कि क्यों स्थानीय लोग अब पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं:
🚨 घटना का सारांश
- तारीख व स्थान: 4–5 अगस्त 2025, बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकासखंड का सोनहत गांव — श्रेयास आदिवासी समुदाय से संबंधित क्षेत्र
- महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर एम्बुलेंस बुलाई गई, लेकिन पुल और सड़क सुविधा ना होने के कारण वाहन गांव तक नहीं पहुँच पाया
🧳 कठिन यात्रा का अनुभव
- परिवार ने महिला को बाइक पर बैठाकर अस्पताल भेजने का प्रयास किया, लेकिन रास्ते में एक नदी आ गई—जिसे पार करते समय वह दर्द से कराहते हुए नदी पार की
- प्रसव दर्द के बीच खुले स्थान पर ही (खुले आसमान के नीचे) महिला ने बच्चे को जन्म दिया
- फिर नवजात को गोद में संजोए और महिला को सहारा देकर पैदल-चालन से अस्पताल तक 15 किमी तक पहुँचाया गया, जहाँ दोनों का इलाज चल रहा है
🏚️ बुनियादी सुविधाएँ — एक तस्वीर
- गांव में ना पुल, ना पक्का सड़क, और ग्राम स्तर तक एम्बुलेंस ना पहुंच पाना जैसी मूलभूत स्वास्थ्य संरचना की कमी स्पष्ट रूप से दिखी — जिससे मरीजों को जोखिम उठाना पड़ा
- बारिश के मौसम में नदी का उफनाव स्थिति और भी दयनीय बना देता है — ग्रामीण बार-बार प्रशासन से पुल निर्माण की मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई स्थाई सुधार नहीं हुआ है
🧑🤝🧑 स्थानीय प्रतिक्रिया और मांगें
- ग्रामीणों ने इस घटना को स्वास्थ्य विभाग की नाकामी और ग्रामीण परिवहन अवसंरचना की अनदेखी के रूप में बताया।
- स्थायी पुल निर्माण की मांग प्रमुख रूप से उठी है, जिससे जीवन जोखिम दर पर प्रभावी नियंत्रण हुआ जा सके।
- वरना ऐसी घटनाएँ — जैसे मां और नवजात की जान जोखिम में पड़ना — दोहराई जा सकती हैं क्योंकि अस्पतालों तक पहुँच की सुविधा न होने से मरीजों को मोहताज बनाया जाता है।

📋 सारांश तालिका
बिंदु | विवरण |
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स्थिति | वाड्रफनगर, सोनहत गांव, बलरामपुर जिला |
मुख्य समस्या | पुल और पक्की सड़क की कमी, एम्बुलेंस न पहुंचना |
प्रसव की स्थिति | नदी पार करने के दौरान दर्द से कराहती महिला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दिया |
रास्ते की दूरी | प्रसव के बाद पैरेंट्स ने 15 किमी तक बच्चा और महिला अस्पताल पहुँचा दी |
वर्तमान मांग | पुल निर्माण और सड़क सुविधा की मांग जोर पकड़ रही है |
✅ निष्कर्ष
इस अत्यंत दुखद घटना ने छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा तक पहुँच में गंभीर अवरुद्धताएं उजागर की हैं—जहाँ नदी, कच्चे रास्ते, और जीर्ण-शीर्ण पुल एक मरीज के लिए जानलेवा बाधा बन जाते हैं। प्रशासन से आग्रह है कि तत्काल स्थायी पुल निर्माण, सड़क सुधार और आपातकालीन परिवहन सुविधा सुनिश्चित की जाए ताकि फिर ऐसी घटनाएँ दोहराई न जाएँ।