सरकार ने सरगुजा जिला के हसदेव जंगल क्षेत्र में लगभग 1,742 हेक्टेयर वन भूमि को उद्योगिक कोल ब्लॉक परियोजना हेतु स्वीकृति दी। स्थानीय संगठनों और कांग्रेस ने विरोध जताते हुए सांस्कृतिक व पारिस्थितिक संपन्नता की रक्षा की मांग की है।

🏗️ परियोजना की पृष्ठभूमि
- छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की वन विभाग ने 1,742.60 हेक्टेयर वन भूमि को खुला कोयला खनन (open‑cast coal block) और एकीकृत वाशरी (washery) परियोजना के लिए स्वीकृत किया है—यह स्वीकृति केन्ट एक्सटेंशन ब्लॉक (Kente Extension coal block) हेतु दी गई है। परियोजना राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RRVUNL) द्वारा संचालित होगी ।
- यह क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से अत्यंत संवेदनशील है और हैसदेव अरन्या वन (Hasdeo Arand forest) के भीतर आता है, जो छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख जैव विविधता क्षेत्र माना जाता है।
🧭 परियोजना का महत्व और विवाद
- हैसदेव अरन्या वन क्षेत्र लगभग 1,70,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसमें सैल और तीख जैसे प्रजातियों सहित लगभग 167 वनस्पति प्रजातियाँ, 82 पक्षी प्रजातियाँ, बाघ, हाथी समेत कई जीव-जंतु निवास करते हैं।
- यह क्षेत्र हैसदेव नदी का जलधारण क्षेत्र है, जो बांगो बांध और आसपास के तीन लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमियों के लिए स्रोत होने के साथ-साथ स्थानीय जल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है ।
👥 विरोध और स्थानीय प्रतिक्रिया
- कांग्रेस पार्टी, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, और हैसदेव अरन्या बचाओ संघर्ष समिति जैसे स्थानीय संगठनों ने यह निर्णय विरोधाभासी और पर्यावरण व जनजातीय अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताया है ।
- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस फैसले को जंगल संरक्षण और आदिवासी समुदायों से हुई वादाखिलाफी बताया, और कहा कि यह निर्णय कारपोरेट हितों को लाभ पहुँचाने के लिए लिया गया है।
- विरोधी संगठनों ने कोर्ट, संसद तथा जम्हूरी मंचों पर आवाज़ उठाई है, जिसमें उन्होंने कहा कि ग्राम सभा की सहमति नकली थी और PESA Act एवं Forest Rights Act का उल्लंघन किया जा रहा है ।
- कई गांवों के ग्रामीणों की चर्चा में यह भी सामने आया कि सुनहरे वादों और रेजोल्यूशन्स के बावजूद परियोजना की प्रत्यक्ष जानकारी नहीं दी गई, जिसके चलते उन्होंने 300 km पदयात्रा और धरना आंदोलन जैसे कदम उठाए हैं
- पर्यावरण विशेषज्ञों और Wildlife Institute of India (WII) ने भी इस क्षेत्र को “no‑go zone” घोषित करने की सलाह दी थी, ताकि जैव विविधता बनी रहे और हाथी–मानव संघर्ष न बढ़े ।
📋 सारांश तालिका
पहलू | जानकारी |
---|---|
स्वीकृत वन भूमि | 1,742.60 हेक्टेयर |
उद्देश्य | Kente Extension coal block, open‑cast mining + washery |
प्राधिकृत संस्था | Rajasthan Vidyut Utpadan Nigam Limited (RRVUNL) |
पर्यावरणीय महत्व | जैव विविधता, हाथी आवास, जलाशयों एवं वन समुदाय |
प्रमुख विरोधी | कांग्रेस, CBA, Hasdeo Aranya Bachao Samiti, Alok Shukla |
विरोध प्रतिक्रिया | ग्राम-सभा की निष्क्रियता, कानूनी अवधियों का उल्लंघन, NGT एवं WII रिपोर्टों का अवहेलना |
🌱 निष्कर्ष
सरगुजा जिले की हैसदेव वन भूमि को उद्योगिक कोयला परियोजना हेतु मंजूरी दिए जाने ने छत्तीसगढ़ की पर्यावरणीय, सामाजिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता पर एक गहरा प्रश्न खड़ा कर दिया है। स्थानीय आदिवासी समाज और पर्यावरण आंदोलनकारियों ने यह निर्णय प्रकृति में अपरिवर्तनीय क्षति की ओर ले जाने वाला बताया है।