ऑनलाइन बैंक फ्रॉड का उदाहरण है, जिसमें ठगों ने पहचान की नकली पुष्टि, फर्जी लेटरहेड, और विश्वास-आधारित हेरफेर (Social Engineering) का इस्तेमाल करके SBI के मैनेजर को झांसा दिया।आइए इसे क्रमवार विस्तार से समझते हैं—
1. घटना का स्थान और पृष्ठभूमि
- स्थान: रायपुर, रामसागरपारा स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा
- थाना क्षेत्र: आजाद चौक थाना
- वर्तमान मैनेजर: आशुतोष कुमार (झारखंड, गिरिडीह निवासी)
- पूर्व मैनेजर: कार्तिक राउंड

2. ठगी की शुरुआत – भरोसा बनाने का खेल
- 8 अगस्त को आशुतोष को पूर्व मैनेजर कार्तिक राउंड का फोन आया।
- कार्तिक ने बताया कि “कृष्णा बिल्डर के डायरेक्टर सुनील तापड़िया हमारे पुराने ग्राहक हैं, उनका बड़ा ट्रांजेक्शन होता रहता है। अगर उनका फोन आए, तो मदद कर देना।”
- इस कॉल से मैनेजर के मन में यह विश्वास जम गया कि अगर आगे फोन आए तो वह ग्राहक की मदद करेंगे।
3. असली ठगी – फर्जी पहचान और लेटरपैड
- 11 अगस्त को आशुतोष के पास फोन आया।
- कॉल करने वाले ने खुद को सुनील तापड़िया (कृष्णा बिल्डर डायरेक्टर) बताया।
- कहा कि वह रजिस्ट्री ऑफिस में है और बैंक नहीं आ पाएगा।
- वाट्सएप पर कृष्णा बिल्डर के लेटरपैड पर NEFT डिटेल भेजी।
- आशुतोष ने बिना और पुष्टि किए उस डिटेल के आधार पर ₹17.52 लाख का ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया।
4. घटना का खुलासा और हड़कंप
- ट्रांजेक्शन के बाद बैंक को शक हुआ।
- पता चला कि न तो कॉल असली था, न लेटरपैड असली।
- पूर्व मैनेजर के नाम से किया गया कॉल भी फर्जी था — संभवतः उसका नंबर spoof या हैक करके इस्तेमाल किया गया।
- मामला तुरंत पुलिस को रिपोर्ट किया गया और आजाद चौक थाना में एफआईआर दर्ज हुई।
5. पुलिस जांच के मुख्य बिंदु
- कॉल और मैसेज के नंबरों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और आईपी ट्रेसिंग।
- लेटरपैड डिज़ाइन और फॉन्ट की जांच — संभव है कि पहले के किसी असली लेटर से कॉपी करके नकली बनाया गया हो।
- ट्रांजेक्शन जिस अकाउंट में गया, उसका KYC और बैंकिंग इतिहास खंगालना।
- शक है कि ठगों ने फर्जी पहचान और बैंक चेन के अंदर के प्रक्रियाओं की जानकारी लेकर यह हेराफेरी की।
6. ठगी का पैटर्न – Social Engineering के संकेत
- पहले भरोसा जीतना: पूर्व मैनेजर का नाम लेकर कॉल करना।
- समय का दबाव: ग्राहक “रजिस्ट्री ऑफिस में है” कहकर जल्द ट्रांसफर करने का दबाव बनाना।
- फर्जी दस्तावेज: कंपनी के लेटरपैड का नकली वर्ज़न भेजना।
- तकनीकी माध्यम: कॉल, WhatsApp, और डिजिटल पेमेंट डिटेल का संयोजन।
7. सुरक्षा और सावधानियां
- बड़े ट्रांजेक्शन से पहले ग्राहक की आवाज़ और पहचान की स्वतंत्र पुष्टि करें।
- किसी भी ईमेल, WhatsApp, या कॉल पर आए पेमेंट डिटेल को बिना ऑफिशियल वेरिफिकेशन के इस्तेमाल न करें।
- बैंक स्टाफ को सोशल इंजीनियरिंग फ्रॉड ट्रेनिंग दी जाए।
- दो-स्तरीय अनुमोदन (Two-factor approval) लागू हो ताकि एक व्यक्ति अकेले इतना बड़ा ट्रांसफर न कर सके।