“एसआईआर (Special Intensive Revision)” पर विपक्ष के हंगामे के बीच बीजेपी ने कांग्रेस पर किस तरह से पलटवार किया और ‘नहले पर दहला’ वाला हमला करते हुए सोनिया गांधी के नाम को विवादित रूप से वोटर लिस्ट में शामिल करने का 45 वर्षों पुराना आरोप फिर से उठाया।

बीजेपी का आरोप: सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट में—शायद अवैध रूप से
- पहला आरोप (1980)
- बीजेपी आईटी-सेल प्रमुख अमित मालवीय ने X (पूर्व ट्विटर) पर दावा किया कि सोनिया गांधी (जिनकी रजिस्ट्री छवि “सोनिया मेनियो,” इतालवी नागरिक पैदा) का नाम 1980 में नागरिकता प्राप्त किए बिना ही नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र (New Delhi Lok Sabha constituency) की वोटर सूची में जुड़ा था। उस समय जनवरी 1, 1980 को “qualifying date” था, और वे 1, सफदरजंग रोड पर निवास कर रही थीं—उसी जगह पर नाम थे इन्दिरा, राजीव, संजय और मनेका गांधी के भी। उनका नाम मतदान केन्द्र (polling station) 145 में क्रमांक 388 पर दर्ज था। बीजेपी ने इसे चुनावी कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया।
- बीजेपी आईटी-सेल प्रमुख अमित मालवीय ने X (पूर्व ट्विटर) पर दावा किया कि सोनिया गांधी (जिनकी रजिस्ट्री छवि “सोनिया मेनियो,” इतालवी नागरिक पैदा) का नाम 1980 में नागरिकता प्राप्त किए बिना ही नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र (New Delhi Lok Sabha constituency) की वोटर सूची में जुड़ा था। उस समय जनवरी 1, 1980 को “qualifying date” था, और वे 1, सफदरजंग रोड पर निवास कर रही थीं—उसी जगह पर नाम थे इन्दिरा, राजीव, संजय और मनेका गांधी के भी। उनका नाम मतदान केन्द्र (polling station) 145 में क्रमांक 388 पर दर्ज था। बीजेपी ने इसे चुनावी कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया।
- नाम की मिटाई-फिर जोड़ी गई (1982–83)
- अमित मालवीय ने आगे दावा किया कि प्रेस विरोध के बाद 1982 में उनका नाम हटा दिया गया, लेकिन 1983 में पुनः शामिल कर लिया गया—फिर भी वे तब तक भारतीय नागरिक नहीं बनी थीं। हालांकि “qualifying date” था जनवरी 1, 1983, जबकि उनका नागरिकता प्रमाणपत्र अप्रैल 30, 1983 को मिला था। बीजेपी ने इसे भी एक और अवैध मतदान पंजीकरण बताया।
- अमित मालवीय ने आगे दावा किया कि प्रेस विरोध के बाद 1982 में उनका नाम हटा दिया गया, लेकिन 1983 में पुनः शामिल कर लिया गया—फिर भी वे तब तक भारतीय नागरिक नहीं बनी थीं। हालांकि “qualifying date” था जनवरी 1, 1983, जबकि उनका नागरिकता प्रमाणपत्र अप्रैल 30, 1983 को मिला था। बीजेपी ने इसे भी एक और अवैध मतदान पंजीकरण बताया।
- अनुराग ठाकुर का हमला
- पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस आरोप को दोहराया और कहा कि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल “घुसपैठिया वोटर्स” (infiltrator voters), “फर्जी पते,” “डुप्लिकेट वोटर्स,” और “भ्रामक आयु” जैसी “चुनावी गड़बड़ियों” से चुनाव जीतते आए हैं। उन्होंने बिहार में हो रही एसआईआर को रोकने की कोशिश को भी ‘वोट बैंक प्रोटेक्शन’ बताया।
- पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस आरोप को दोहराया और कहा कि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल “घुसपैठिया वोटर्स” (infiltrator voters), “फर्जी पते,” “डुप्लिकेट वोटर्स,” और “भ्रामक आयु” जैसी “चुनावी गड़बड़ियों” से चुनाव जीतते आए हैं। उन्होंने बिहार में हो रही एसआईआर को रोकने की कोशिश को भी ‘वोट बैंक प्रोटेक्शन’ बताया।
- कांग्रेस की प्रतिक्रिया
- कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने जवाब दिया कि सोनिया गांधी ने खुद कभी अपने नाम को वोटर लिस्ट में डालने की मांग नहीं की थी। यह निर्णय उस समय की निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने लिया था, जिस पर आज बीजेपी दबाव बना रही है। उन्होंने बताया कि सोनिया गांधी की यह भूमिका उनके विवेक पर नहीं थी।
- कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने जवाब दिया कि सोनिया गांधी ने खुद कभी अपने नाम को वोटर लिस्ट में डालने की मांग नहीं की थी। यह निर्णय उस समय की निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने लिया था, जिस पर आज बीजेपी दबाव बना रही है। उन्होंने बताया कि सोनिया गांधी की यह भूमिका उनके विवेक पर नहीं थी।
राजनीतिक संदर्भ: ‘नहले पर दहला’ की टकराव रणनीति
- यह आरोप राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस की ओर से “वोट चोरी (vote chori)” को लेकर ईसी पर हमला करने के कुछ ही दिनों बाद आया—बीजेपी ने इसे तुरंत पलटकर कांग्रेस पर “इतिहास में ले जाकर” जवाबी हमले के रूप में इस्तेमाल किया।
- बीजेपी का संदेश स्पष्ट है: अगर कांग्रेस ईसी पर चुनावी अनियमितताओं के आरोप लगा रही है, तो फिर सोनिया गांधी का पुराना वोटर रोल तक संदिग्ध है—इससे कांग्रेस की नैतिक पाटकता (credibility) सवालों में।
सारांश में—क्या हुआ?
बिंदु | विवरण |
---|---|
वस्तुगत आरोप | सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट में उनके नागरिकता प्राप्त किए बिना 1980 में जोड़ा गया था, और फिर 1983 में पुनः शामिल किया गया था—जो चुनावी कानून का उल्लंघन है। |
बीजेपी का मकसद | कांग्रेस पर “vote chori” आरोपों का जवाब देना, और पुराने अवसरों के आधार पर कांग्रेस की विश्वसनीयता पर हमला करना। |
कांग्रेस का बचाव | यह निर्णय आयोग का था, सोनिया गांधी ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया; आरोप ध्यान से ध्यान भटकाने की कोशिश है। |