रायपुर जिले में एक व्यक्ति ने नशे में झूठा कबूलनामा देते हुए कहा कि उसने छह साल पहले एक बच्ची की हत्या की थी—जबकि पुलिस पहले ही 2019 में असली आरोपी को गिरफ्तार कर चुकी थी। गुस्साई भीड़ ने उसे पीट-पीट कर मार डाला। पुलिस ने अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच जारी है। मृतक की पत्नी ने पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं।

रायपुर ज़िले में हुई यह घटना भीड़तंत्र (Mob Justice) की खतरनाक मिसाल है, जहाँ अफवाह, नशे में दिया गया झूठा कबूलनामा और पुलिस की समय पर हस्तक्षेप न कर पाने की स्थिति ने एक निर्दोष की जान ले ली।
घटना का विवरण
- स्थान: रायपुर ज़िले का एक गांव (पुलिस ने गोपनीयता कारणों से नाम नहीं बताया)।
- घटना की शुरुआत:
- पीड़ित व्यक्ति ने नशे की हालत में गांव में घूमते हुए यह कह दिया कि उसने छह साल पहले (2019) एक बच्ची की हत्या की थी।
- हकीकत में, यह मामला पहले ही 2019 में सुलझ चुका था—पुलिस ने असली आरोपी को गिरफ्तार कर सज़ा भी दिलाई थी।
- भीड़ की प्रतिक्रिया:
- गांव के लोग भड़क गए और बिना सच्चाई जांचे उस पर हमला कर दिया।
- उसे पीट-पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस कार्रवाई
- गिरफ्तारी: अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिन पर हत्या, गैर-कानूनी भीड़ इकट्ठा करने और मारपीट के मामले दर्ज हैं।
- जांच:
- पुलिस यह पता लगा रही है कि घटना के समय मौजूद अन्य लोग कौन थे और किसने हिंसा भड़काई।
- CCTV फुटेज और मोबाइल वीडियो की मदद ली जा रही है।
परिवार का आरोप
- मृतक की पत्नी का कहना है कि:
- पुलिस को समय रहते सूचना दी गई थी, लेकिन वे देर से पहुंचे।
- अगर पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया होता तो उनके पति की जान बच सकती थी।
- उनके पति मानसिक रूप से अस्वस्थ थे और शराब के नशे में बिना मतलब की बातें कर देते थे।
सामाजिक और कानूनी पहलू
- यह घटना दिखाती है कि भीड़तंत्र और अफवाहें कितनी खतरनाक हो सकती हैं—कानून को हाथ में लेने से निर्दोष भी मारा जा सकता है।
- भारतीय दंड संहिता के तहत, इस तरह की भीड़ हिंसा हत्या के बराबर मानी जाती है और दोषियों को कठोर सज़ा हो सकती है।