पृष्ठभूमि…
- हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने “वोट चोरी (Vote Chori)” का आरोप लगाया था।
- इसके जवाब में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने उनसे 7 दिन में शपथपत्र (affidavit) के साथ सबूत देने की बात कही थी, अन्यथा इन आरोपों को “बेसलेस और अवैध” माना जाएगा।
- अब राहुल गांधी ने इस पर पलटवार करते हुए ECI और BJP दोनों पर सवाल उठाए हैं।
राहुल गांधी के मुख्य तर्क और आरोप..
1. BJP नेताओं पर सवाल क्यों नहीं?
- राहुल का कहना है कि निर्वाचन आयोग ने केवल उनसे affidavit माँगा, लेकिन BJP नेताओं से कभी इस तरह का सबूत या affidavit नहीं माँगा गया।
- उनका सवाल था: “क्या BJP नेताओं को विशेष छूट मिली हुई है? और यदि हाँ, तो क्यों?”
2. 2023 का नया कानून और जवाबदेही का सवाल
- राहुल ने कहा कि 2023 में पास किए गए एक कानून ने निर्वाचन आयोग (ECI) की जवाबदेही को खत्म कर दिया।
- इस कानून की वजह से अब ECI की नियुक्ति और कार्यप्रणाली पर जनता और विपक्ष का नियंत्रण कम हो गया है।
- उन्होंने आरोप लगाया कि यह स्थिति ECI और BJP के बीच संभव सहयोग (collusion) की राह खोलती है।
3. वोटर लिस्ट में हेरफेर का आरोप
- राहुल गांधी ने संख्या के उदाहरण भी दिए:
- बिहार: लगभग 65 लाख वोट हटाए गए।
- महाराष्ट्र: लगभग 1 करोड़ नए वोट जोड़े गए।
- राहुल का आरोप है कि यह एक सुनियोजित चुनावी हेरफेर है, जिससे सत्ता पक्ष को फायदा पहुँचे।
4. SIR (Special Intensive Revision) पर हमला
- राहुल ने बिहार में चल रहे SIR अभियान को “वोट चोरी की साजिश” बताया।
- उनका कहना है कि SIR की आड़ में विपक्षी वोट बैंक को हटाया जा रहा है, जबकि नए वोट जोड़कर BJP समर्थक वर्ग को लाभ पहुंचाने की कोशिश हो रही है।
- उन्होंने इसे ECI की पक्षपाती कार्यप्रणाली का उदाहरण करार दिया।
बड़ा राजनीतिक महत्व
- राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वे ECI की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं।
- दूसरी ओर, निर्वाचन आयोग और BJP दोनों राहुल के आरोपों को राजनीतिक दुष्प्रचार मानते हुए खारिज कर चुके हैं।
- आने वाले समय में यह मुद्दा न केवल बिहार चुनाव, बल्कि 2029 के लोकसभा चुनाव की भूमिका तय करने में भी अहम साबित हो सकता है।

👉 कुल मिलाकर: राहुल गांधी ने साफ कहा कि ECI विपक्ष को टारगेट कर रहा है और BJP को बचा रहा है। उन्होंने वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर हेरफेर और SIR को “वोट चोरी” की योजना बताया है।