केंद्र सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण में किए गए उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना करते हुए इसे “प्रोडक्ट नेशन” बनने की दिशा में एक अहम कदम बताया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैश्नव ने स्टार्टअप्स को विशेष रूप से चिप डिजाइन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया है। यह पहल डिजिटल सशक्तिकरण और तकनीकी स्वायत्तता के उद्देश्य को आगे बढ़ाती है।
भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण और चिप डिजाइन को लेकर जो काम हो रहा है, वह आज की तारीख में रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं 👇

1. सेमीकंडक्टर क्यों ज़रूरी हैं?
- सेमीकंडक्टर (चिप्स) आज हर तकनीक की रीढ़ हैं—मोबाइल, लैपटॉप, 5G नेटवर्क, इलेक्ट्रिक व्हीकल, AI, रक्षा उपकरण, मेडिकल डिवाइस सबमें इनकी ज़रूरत होती है।
- अभी तक भारत चिप्स के लिए ताइवान, कोरिया, अमेरिका और चीन पर निर्भर रहा है।
- अगर भारत को आत्मनिर्भर (Atmanirbhar) बनना है तो चिप निर्माण और डिजाइन में मजबूत होना बहुत जरूरी है।
2. भारत सरकार की पहलें
- Semicon India Program: 2021 में शुरू किया गया था, जिसके तहत ₹76,000 करोड़ का पैकेज चिप निर्माण और डिजाइन कंपनियों को दिया गया।
- Design Linked Incentive (DLI) Scheme: चिप डिजाइन स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन और फंडिंग दी जा रही है।
- Chip Manufacturing Hubs: गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में बड़े सेमीकंडक्टर पार्क बनाने पर काम चल रहा है।
- मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ साझेदारी: अमेरिका, जापान और यूरोप की दिग्गज कंपनियों के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बातचीत हो रही है।
3. अश्विनी वैश्नव का बयान
- केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैश्नव ने हाल ही में कहा:
- भारत अब सिर्फ “सर्विस नेशन” नहीं रहेगा बल्कि “प्रोडक्ट नेशन” बनेगा।
- युवाओं और स्टार्टअप्स को चिप डिजाइन, आर्किटेक्चर और फैब्रिकेशन में आगे आने का आह्वान किया।
- भारत के पास इंजीनियरिंग टैलेंट व रिसर्च क्षमता है, उसे सही दिशा देने की आवश्यकता है।
4. डिजिटल सशक्तिकरण और स्वायत्तता
- यदि भारत अपनी चिप ज़रूरतों को खुद पूरा करेगा, तो:
- राष्ट्रीय सुरक्षा मज़बूत होगी (रक्षा और रणनीतिक उपकरणों में)।
- विदेशी निर्भरता कम होगी।
- नौकरी और स्टार्टअप इकोसिस्टम में तेजी आएगी।
- भारत वैश्विक सप्लाई चेन में बड़ी भूमिका निभा सकेगा।
5. चुनौतियाँ भी हैं
- सेमीकंडक्टर फैक्ट्री (Fab) बनाने में 10-12 अरब डॉलर की लागत आती है।
- चिप निर्माण के लिए बहुत शुद्ध पानी, बिजली और हाई-टेक इन्फ्रास्ट्रक्चर चाहिए।
- ग्लोबल सप्लाई चेन पर अमेरिका-चीन तनाव का भी असर पड़ता है।
- भारत को तकनीकी विशेषज्ञता और अनुभव अभी विदेश से ही लेना पड़ेगा।
🔑 निष्कर्ष
भारत का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में
- चिप डिजाइन हब बने,
- चिप निर्माण (fabs) की शुरुआती यूनिट्स तैयार हों,
- और 2030 तक भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का प्रमुख केंद्र बन जाए।