छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल के राजनीतिक सफर और उनके बड़े उलटफेर वाली जीत से जुड़ी है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
1. शुरुआती पृष्ठभूमि – कारोबार से राजनीति तक
- राजेश अग्रवाल लखनपुर के रहने वाले हैं और स्वर्गीय चांदी राम अग्रवाल के पुत्र हैं।
- राजनीति में आने से पहले वे व्यवसाय से जुड़े हुए थे।
- अंबिकापुर में उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर निजी व्यापारिक गतिविधियों को आगे बढ़ाया और कारोबार में अपनी पहचान बनाई।
- व्यापार के दौरान ही उनका रुझान धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति की ओर बढ़ने लगा।

2. कांग्रेस से राजनीतिक करियर की शुरुआत
- अग्रवाल ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस से की थी।
- वे लंबे समय तक कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के बेहद करीबी रहे।
- संगठन और क्षेत्रीय राजनीति में वे सिंहदेव के विश्वासपात्र कार्यकर्ता माने जाते थे।
3. कांग्रेस से मोहभंग और भाजपा में प्रवेश
- वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।
- उस समय यह बड़ा घटनाक्रम माना गया क्योंकि सिंहदेव जैसे बड़े नेता का करीबी कार्यकर्ता कांग्रेस छोड़कर भाजपा से जुड़ रहा था।
- भाजपा ने उनकी योग्यता और समर्पण को देखते हुए उन्हें संगठन में तेजी से आगे बढ़ाया।
- पहले उन्हें सरगुजा जिला कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया और बाद में पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों में उन्हें प्रमुख भूमिका मिली।
4. भाजपा प्रत्याशी के रूप में बड़ा दांव
- भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में राजेश अग्रवाल को अंबिकापुर सीट से प्रत्याशी बनाया।
- यह सीट बेहद प्रतिष्ठित मानी जाती है क्योंकि यहाँ से कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव लगातार जीत दर्ज करते रहे थे और वे उस समय राज्य के उपमुख्यमंत्री भी थे।
5. 2023 का चुनाव और ऐतिहासिक उलटफेर
- चुनाव में अंबिकापुर सीट पर बेहद कड़ा मुकाबला हुआ।
- नतीजों में राजेश अग्रवाल ने 90,780 वोट हासिल किए, जबकि टीएस सिंहदेव को 94 वोटों से कम मत मिले।
- यह जीत पूरे प्रदेश में सबसे चर्चित रही क्योंकि एक व्यापारी से नेता बने व्यक्ति ने पहली ही बार चुनाव लड़कर राज्य के उपमुख्यमंत्री को हरा दिया।
- इतना ही नहीं, इस हार के साथ सिंहदेव का किला भी ढह गया, जिसे दशकों से सुरक्षित माना जाता था।
6. जीत के बाद राजनीतिक पहचान
- इस ऐतिहासिक जीत ने राजेश अग्रवाल को प्रदेश की राजनीति में अचानक मुख्यधारा के नेता बना दिया।
- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जब अपना मंत्रिमंडल बनाया, तो अग्रवाल को भी जगह दी गई।
- इसका संदेश यह गया कि भाजपा नए नेताओं को भी मौका दे रही है, जो मेहनत और संघर्ष से ऊपर उठकर संगठन और जनता का विश्वास जीतते हैं।
✅ सारांश:
राजेश अग्रवाल का राजनीतिक सफर कारोबार से शुरू होकर कांग्रेस कार्यकर्ता से भाजपा मंत्री तक पहुँचा है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही 2023 में उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को मात्र 94 वोटों से हराना, जो छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक ऐतिहासिक उलटफेर माना गया।