दंतेवाड़ा में आज (20 अगस्त 2025) नक्सल निरोधक मोर्चे को बड़ी सफलता मिली। स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर कुल 21 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें से 13 पर कुल ₹25,50,000 का इनाम घोषित था। ये सभी अपने-अपने इलाकों में “बंद सप्ताह” के दौरान सड़कें खोदना, पेड़ काटना, बैनर–पोस्टर लगाना जैसी गतिविधियों में शामिल रहे थे।

क्या मायने हैं
- लोन वर्राटू (Lon Varratu) का अर्थ स्थानीय गोंडी में “अपने घर/गांव लौटो” है—यही अभियान 2020 से दंतेवाड़ा में लगातार आत्मसमर्पण करवाने में अहम रहा है। हालिया आंकड़ों में इस मुहिम के तहत 1,000+ नक्सलियों के सरेंडर दर्ज हो चुके हैं।
- तुरंत सहायता व पुनर्वास: छत्तीसगढ़ की आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति के तहत सरेंडर करने वालों को प्रारंभिक ₹50,000 की सहायता और आगे स्किल-डेवलपमेंट/रोज़गार, आवास, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएँ मिलती हैं (हालिया मामलों में यही प्रोटोकॉल लागू हुआ है)।
- क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य: बस्तर रेंज में पिछले महीनों में कई चरणों में सरेंडर हुए हैं (कोंडागांव सहित), और राज्य नेतृत्व ने माओवाद में तेज़ गिरावट का दावा करते हुए 2026 तक बड़े स्तर पर नियंत्रण का लक्ष्य रखा है। साथ ही “पूना मारघम” जैसे पुनर्वास कार्यक्रम लौटे कैडरों को कौशल/रोज़गार से जोड़ रहे हैं।
आगे की प्रक्रिया
- पुलिस/CRPF के समक्ष औपचारिक सरेंडर के बाद पहचान व मामलों का स्क्रीनिंग/डिब्रीफिंग होता है।
- पात्रता के अनुसार पुनर्वास पैकेज (तुरंत नकद सहायता, प्रशिक्षण, आजीविका योजनाएँ) और कानूनन लंबित प्रकरणों में न्यायिक प्रक्रिया चलती है। हाल के सरेंडर केसों में यही मानक प्रक्रिया अपनाई गई है।
कुल मिलाकर, आज दंतेवाड़ा के 21 सरेंडर—जिनमें 13 इनामी भी शामिल—यह संकेत देते हैं कि सुरक्षा-कार्रवाइयों, जन-संपर्क, और पुनर्वास योजनाओं के संयोजन से बस्तर में नक्सल नेटवर्क पर सतत दबाव बना हुआ है।