वह वास्तव में आने वाले समय में भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को पूरी तरह बदल सकता है। सरकार ने इसे लोकसभा में पेश किया है और इसके कई अहम प्रावधान सामने आए हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं—
📌 बिल के मुख्य प्रावधान
🎮 रियल-मनी गेम्स पर रोक
- किसी भी तरह के रियल-मनी गेम्स (जहां पैसे की बाजी लगती है) को चलाना, ऑफर करना या उनका प्रचार-प्रसार करना गैरकानूनी होगा।
- इसमें ड्रीम-11, रमी, पोकर, बेटिंग जैसे गेम्स शामिल हैं।
- खिलाड़ियों पर सीधी कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन कंपनियों और प्रमोटरों पर होगी।

⚖️ सजा और जुर्माना
- गेम ऑफर/प्रमोट करने वाली कंपनी –
- 3 साल तक की जेल
- 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना
- विज्ञापन चलाने वालों पर –
- 2 साल तक की जेल
- 50 लाख रुपये तक का जुर्माना
🏢 रेगुलेटरी अथॉरिटी
- एक नई नियामक अथॉरिटी बनाई जाएगी।
- यह अथॉरिटी गेमिंग कंपनियों को रजिस्टर करेगी और तय करेगी कि कौन-सा गेम रियल-मनी फॉर्मेट में आता है और कौन-सा नहीं।
🕹️ ई-स्पोर्ट्स और नॉन-मनी गेम्स को बढ़ावा
- PUBG, Free Fire जैसे ई-स्पोर्ट्स और नॉन-मनी बेस्ड गेम्स को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- सब्सक्रिप्शन बेस्ड या फ्री-टू-प्ले गेम्स (जहां पैसों की बाजी नहीं होती) पर रोक नहीं होगी।
❓ क्यों जरूरी बताया गया यह कानून?
सरकार का तर्क है कि—
- मानसिक और आर्थिक नुकसान – लोग अपनी जमा पूंजी गंवा रहे हैं, कई आत्महत्या के मामले सामने आए।
- मनी लॉन्ड्रिंग और सुरक्षा खतरे – रियल-मनी गेम्स का इस्तेमाल हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए भी हो रहा था।
- सामाजिक प्रभाव – परिवारिक और सामाजिक जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है।
📊 गेमिंग इंडस्ट्री पर असर
- भारत का ऑनलाइन गेमिंग मार्केट वर्तमान में 32,000 करोड़ रुपये का है।
- इसमें से 86% रेवेन्यू रियल-मनी गेम्स से आता है।
- अगर बैन लागू होता है तो—
- ड्रीम-11, Games24x7, WinZO, Gameskraft जैसी कंपनियां सीधे प्रभावित होंगी।
- करीब 2 लाख नौकरियों पर संकट आ सकता है।
- 25,000 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश (FDI) डगमगा सकता है।
🚫 विरोध और कानूनी चुनौती
- AIGF, EGF और FIFS जैसे संगठन इसका विरोध कर रहे हैं।
- उनका कहना है कि—
- खिलाड़ियों की संख्या (50 करोड़ यूजर्स) बहुत बड़ी है।
- बैन लगाने से खिलाड़ी विदेशी या गैरकानूनी प्लेटफॉर्म्स पर शिफ्ट हो जाएंगे।
- सरकार को टैक्स का नुकसान होगा और खिलाड़ियों को सुरक्षा नहीं मिलेगी।
- सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स और रमी को जुआ नहीं कहा जा सकता। इसलिए कंपनियां इसे संविधान विरोधी मानकर अदालत जाने की तैयारी कर रही हैं।
🌍 विदेशी निवेशकों पर असर
- पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर में लगभग 400 स्टार्टअप्स आए।
- 25,000 करोड़ रुपये का FDI इस सेक्टर में आया है।
- अगर बैन लागू हुआ तो निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है और नए स्टार्टअप्स पर भी रोक लग सकती है।
✅ किन्हें छूट मिलेगी?
- फ्री-टू-प्ले गेम्स
- सब्सक्रिप्शन बेस्ड गेम्स (जहां सीधे पैसे की बाजी नहीं होती)
- ई-स्पोर्ट्स और स्किल बेस्ड नॉन-मॉनेटरी गेम्स
📌 निष्कर्ष –
यह बिल भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव ला सकता है। सरकार इसे सुरक्षा और सामाजिक नुकसान रोकने के लिए जरूरी बता रही है, जबकि इंडस्ट्री इसे रोजगार और निवेश विरोधी मान रही है। आने वाले महीनों में यह कानून लागू होता है या इसमें संशोधन होता है, यह देखना बेहद अहम होगा।
