पृष्ठभूमि
- हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया।
- इस विस्तार में पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा विधायक अजय चंद्राकर को जगह नहीं मिली।
- कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाकर बीजेपी सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी हो रही है।

अजय चंद्राकर का पलटवार
- कांग्रेस पर जवाबी हमला
- चंद्राकर ने कहा कि कांग्रेस पहले यह बताए कि भूपेश बघेल कैबिनेट में वरिष्ठ नेताओं धनेन्द्र साहू और सत्यनारायण शर्मा के साथ क्या व्यवहार किया गया।
- कैबिनेट विस्तार को उन्होंने मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार बताया और कहा कि “साय कैबिनेट अच्छी, संतुलित और नवाचारी है।”
- भूपेश बघेल को ताना
- भूपेश बघेल ने इस विस्तार को “असंवैधानिक” कहा था।
- इसके जवाब में चंद्राकर बोले—भूपेश जी को सोशल मीडिया पर बयानबाजी करने के बजाय पार्टी से पूछना चाहिए और हरियाणा में अपने नेताओं से पूछना चाहिए कि वहाँ 14 मंत्री क्यों हैं।
- कांग्रेस संगठन पर टिप्पणी
- कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान पर तंज कसते हुए उन्होंने कांग्रेस पदाधिकारियों को “पपेट (पुतला)” बताया।
- कहा—कांग्रेस में ऐसे नेताओं की तलाश होती है जिनकी निष्ठा गांधी परिवार से हो, न कि जनता से।
- “ये लोग जननायक नहीं, बल्कि गांधी परिवार के पपेट होते हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को अभी पपेट नहीं मिल रहा, जब मिलेगा तब संगठन विस्तार होगा।”
महिला आयोग पर निशाना
- नारायणपुर धर्मांतरण विवाद: कुछ युवतियों ने शिकायत की थी कि बजरंग दल के कार्यकर्ता उन पर दबाव डाल रहे हैं।
- महिला आयोग अध्यक्ष किरणमयी नायक ने इस मामले में जांच शुरू करवाई।
- इस पर चंद्राकर ने कहा—
- जांच पार्टी एजेंडे से हटकर और निष्पक्ष होनी चाहिए।
- कुछ शिकायतें राजनीति करने के लिए “फैब्रिकेटेड” (बनावटी) होती हैं।
- आयोग को केवल मेनिफेस्टो नहीं बल्कि निष्पक्षता के आधार पर काम करना चाहिए।
राजनीतिक महत्व
- कांग्रेस, साय कैबिनेट विस्तार में वरिष्ठ नेताओं को बाहर रखने के मुद्दे से बीजेपी में असंतोष दिखाने की कोशिश कर रही है।
- लेकिन अजय चंद्राकर का पलटवार यह संदेश देने की कोशिश है कि पार्टी में कोई असंतोष नहीं है और कांग्रेस खुद “अंदरूनी संकट” से जूझ रही है।
- साथ ही, उन्होंने महिला आयोग को लेकर भी विपक्ष पर “राजनीतिक एजेंडा” चलाने का आरोप लगाया।
👉 कुल मिलाकर, अजय चंद्राकर ने कांग्रेस को कैबिनेट विस्तार, संगठन और महिला आयोग के मुद्दों पर घेरने की कोशिश की और संदेश दिया कि बीजेपी सरकार का मंत्रिमंडल संतुलित है, जबकि कांग्रेस आंतरिक कलह से जूझ रही है।