छत्तीसगढ़ सरकार ने बढ़ते जल संकट से निपटने के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। राज्य की सभी 11,663 ग्राम पंचायतों में अब जियोग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) तकनीक का इस्तेमाल कर पानी का संरक्षण किया जाएगा।

👉 यह पहल सरकार की फ्लैगशिप योजना “मोर गांव, मोर पानी महाअभियान” का हिस्सा है।
👉 GIS तकनीक की मदद से पंचायत स्तर पर पौधारोपण, जल संचयन और संवर्धन के लिए सटीक स्थानों की पहचान की जाएगी।
📌 योजना की खास बातें
- पंचायत स्तर पर भूमि और जलस्रोतों का भू-प्राकृतिक विश्लेषण होगा।
- यह तय किया जाएगा कि किस स्थान पर चेकडैम, तालाब, नाला बांध या अन्य संरचना सबसे प्रभावी होगी।
- योजनाओं की पारदर्शी मॉनिटरिंग और क्रियान्वयन के लिए युक्तधारा पोर्टल का उपयोग किया जाएगा।
- पंचायतों की सरकारी भूमि और संसाधनों की पूरी जानकारी भी इसी पोर्टल पर उपलब्ध होगी।
🔎 पायलट प्रोजेक्ट की सफलता
- शुरुआती तौर पर सभी जिलों के एक-एक विकासखंड में इस तकनीक को आजमाया गया।
- नतीजे बेहद उत्साहजनक रहे।
- अब सरकार ने घोषणा की है कि 1 अप्रैल 2026 से यह योजना पूरे प्रदेश की पंचायतों में लागू होगी।
🌱 इस पहल से छत्तीसगढ़ न सिर्फ पानी की किल्लत से राहत पाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सतत जल प्रबंधन का मॉडल भी बनेगा।