📍 स्थान: मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी जिला)
📅 तारीख: 01 सितम्बर 2025
1. कार्यक्रम का स्वरूप
- “दीदी के गोठ” एक रेडियो प्रसारण कार्यक्रम है, जिसे विशेष रूप से छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन – ‘बिहान’ से जुड़ी महिलाओं (स्व-सहायता समूह की दीदियों) की सफलता की कहानियों को साझा करने के लिए तैयार किया गया है।
- इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को प्रेरित करना, आत्मनिर्भर बनाना और आजीविका के नए अवसरों से जोड़ना है।

2. मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं का संदेश
- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ‘बिहान’ की दीदियों की मेहनत और उपलब्धियों की सराहना की।
- केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान (पंचायत एवं ग्रामीण विकास) और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने भी महिलाओं को संबोधित कर कहा कि:
- स्व-सहायता समूह की महिलाएं आज आर्थिक आत्मनिर्भरता की मिसाल हैं।
- उनकी मेहनत ने पूरे समाज में महिला सशक्तिकरण का आदर्श प्रस्तुत किया है।
- नेताओं ने संदेश दिया कि महिलाएं अपने कार्यों को और अधिक विस्तार दें और आजीविका संवर्धन के साथ समाज में अपनी भूमिका और मजबूत करें।
3. आयोजन का स्तर
- कार्यक्रम का शुभारंभ रायपुर से हुआ, लेकिन जिलेभर में इसे संकुल संगठन और ग्राम संगठन स्तर पर सामूहिक रूप से सुना गया।
- मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, श्रीमती अंकिता सोम शर्मा के मार्गदर्शन में इसका आयोजन हुआ।
- बड़ी संख्या में:
- स्व-सहायता समूह की महिलाएं,
- कम्युनिटी कैडर,
- जनप्रतिनिधि, पंचायत प्रतिनिधि,
- और जिला पंचायत के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुए।
4. माहौल और सहभागिता
- माहौल उत्साह और ऊर्जा से भरा रहा।
- महिलाओं ने कार्यक्रम से नई योजनाओं और अनुभवों को आत्मसात किया और आगे बेहतर कार्य करने का संकल्प लिया।
- हर महिला को यह एहसास हुआ कि उनकी मेहनत और संघर्ष को केवल राज्य ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिल रही है।
5. “दीदी के गोठ” का महत्व
- यह केवल एक रेडियो कार्यक्रम नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का मंच है।
- ग्रामीण महिलाओं के लिए यह:
- आत्मविश्वास बढ़ाने वाला,
- नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का प्रेरणास्रोत,
- और आजिविका संवर्धन का मार्गदर्शक बन गया है।
- इससे यह संदेश गया कि यदि अवसर और मंच मिले, तो महिलाएं हर क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छू सकती हैं।
✅ निष्कर्ष:
“दीदी के गोठ” महिलाओं की कहानियों को आवाज़ देने वाला ऐसा मील का पत्थर है, जिसने ग्रामीण अंचलों की महिलाओं को यह भरोसा दिया है कि वे भी अपने दम पर समाज और अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दे सकती हैं।