नेपाल अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है।
सड़कों पर हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। राजधानी काठमांडू से लेकर नेपालगंज, पोखरा और तराई इलाक़ों तक हालात बेकाबू हैं।

हालात इतने बिगड़े कि सरकार को सेना बुलानी पड़ी।
देशभर में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है और सेना को Shoot-at-sight के अधिकार तक दिए गए हैं।
🔻 सरकार का इस्तीफ़ा, लेकिन ग़ुस्सा बरकरार
नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली समेत पूरी सरकार ने इस्तीफ़ा दे दिया है।
लेकिन इसके बावजूद जनता का ग़ुस्सा शांत नहीं हुआ।
प्रदर्शनकारी लगातार सड़कों पर उतर रहे हैं, सरकारी इमारतों और वाहनों को निशाना बना रहे हैं।
🔻 अपील और चेतावनी
सेना और प्रशासन ने लोगों से घरों में रहने की अपील की है।
साथ ही चेतावनी भी दी है कि तोड़फोड़ और हिंसा करने वालों पर सख़्त कार्रवाई होगी।
🔻 भारत और चीन की प्रतिक्रिया
नेपाल की इस अराजक स्थिति पर भारत और चीन दोनों की नज़र है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नेपाल में हिंसा और अराजकता हृदयविदारक है। उन्होंने नेपाल की जनता से शांति बनाए रखने और सहयोग करने की अपील की।
- वहीं चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में प्रेस ब्रीफिंग करते हुए कहा कि नेपाल के सभी पक्ष घरेलू मुद्दों को शांतिपूर्ण और उचित तरीके से सुलझाएँ और जल्द से जल्द सामाजिक स्थिरता बहाल करें।
🔻 नेपाल का भविष्य सवालों में
नेपाल में यह हालात राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और आंतरिक मतभेदों का नतीजा बताए जा रहे हैं।
लोग अब बदलाव की मांग कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि—
👉 क्या नेपाल लोकतंत्र की नई परिभाषा गढ़ पाएगा?
👉 या फिर हिंसा और अराजकता की इस आग में लोकतंत्र ही जलकर खाक हो जाएगा?