⚠️ बड़ा घोटाला – कोदवागोडान धान उपार्जन केंद्र से ₹1.39 करोड़ का धान गायब
🔹 घटना का स्थान और संदर्भ
- 📍 स्थान: कोदवागोडान धान उपार्जन केंद्र, कुकदूर थाना क्षेत्र, कवर्धा जिला (छत्तीसगढ़)।
- मामला धान उपार्जन प्रक्रिया में घोटाले का है।

🔹 अमानत में खयानत का आरोप
- प्रभारी पर आरोप:
👉 तत्कालीन उपार्जन केंद्र प्रभारी रमाशंकर चंद्राकर पर अमानत में खयानत का गंभीर आरोप लगा है। - आरोपित पर FIR दर्ज की गई है।
👉 यह FIR कुकदूर थाना पुलिस ने दर्ज की है।
🔹 गायब धान की स्थिति
- कुल गायब धान की मात्रा: लगभग 6,000 क्विंटल।
- अनुमानित बाजार मूल्य: लगभग ₹1.39 करोड़।
- जांच में पता चला कि यह धान:
✔ ना तो गोदाम में उपलब्ध है।
✔ ना ही इसका कोई वैध हिसाब-किताब मौजूद है। - यह स्पष्ट रूप से अमानत का गबन माना जा रहा है।
🔹 पुलिस की कार्रवाई
- पुलिस ने मामले की FIR दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
- फिलहाल तक आरोपी रमाशंकर चंद्राकर की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
- जांच के तहत पुलिस:
- संबंधित दस्तावेजों और रिकॉर्ड की जांच कर रही है।
- गोदाम का निरीक्षण कर रही है।
- अन्य संबंधित कर्मचारियों और अधिकारियों से पूछताछ कर रही है।
- संभावित साजिश और अन्य दोषियों की पहचान की कोशिश कर रही है।
🔹 धान उपार्जन प्रक्रिया पर उठे सवाल
- यह मामला एक बार फिर धान उपार्जन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर गया है।
- कई किसान और समाजजन इस पर सवाल उठा रहे हैं कि सरकारी प्रक्रिया में इतनी बड़ी लूट कैसे संभव हो गई।
- आदान-प्रदान के वैध रिकार्ड और निगरानी व्यवस्था की भी जांच हो रही है।
⚡ संभावित प्रभाव
- किसानों का विश्वास सरकारी उपार्जन प्रक्रिया पर कमजोर होगा।
- सरकारी सिस्टम की जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठेंगे।
- भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए कड़े नियम व निगरानी तंत्र लागू करने की मांग बढ़ेगी।
- आरोपी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की उम्मीद।
✅ निष्कर्ष:
यह मामला प्रशासन और पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। सरकार और प्रशासन पर दबाव है कि वे शीघ्र दोषियों को सजा दिलाएं और ऐसी व्यवस्था बनाएं जिससे भविष्य में भ्रष्टाचार पर पूर्ण रोक लगे।
🌱 किसानों की उम्मीदें हैं कि उनका धान सही तरीके से खरीदा जाए और उन्हें न्याय मिले।