- घोटाले का प्रकृति:
मोक्षित कार्पोरेशन द्वारा किए गए रीएजेंट घोटाले में लगभग 400 करोड़ रुपये की अनियमितता सामने आई है। इस मामले में कई अधिकारियों और संचालकों के खिलाफ ED (Enforcement Directorate), ACB (Anti Corruption Bureau), और EOW (Economic Offences Wing) मिलकर जांच कर रहे हैं। - मुख्य आरोपी:
मोक्षित कार्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा सहित कुल 6 आरोपी जेल में बंद हैं। आरोप है कि इन लोगों ने आम मार्केट में डेढ़ रुपये से साढ़े आठ रुपये प्रति ट्यूब में मिलने वाले EDTA ट्यूब को 352 रुपये प्रति ट्यूब की दर से खरीदकर सरकारी राशि का भारी गबन किया।
बाद की जांच में यह खुलासा हुआ कि यह ट्यूब दरअसल 2352 रुपये प्रति ट्यूब में खरीदी गई थी, जिससे विरोधाभास सामने आया है। इसके आधार पर 400 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला माना जा रहा है।
🏛️ कोर्ट में हुई सुनवाई:
- शशांक चोपड़ा की जमानत याचिका:
सुप्रीम कोर्ट में नियमित जमानत की याचिका पहले ही 8 सितंबर को खारिज हो चुकी है। - डॉ. अनिल परसाई और बसंत कौशिक की याचिका:
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच (चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा) ने दोनों अधिकारियों की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। उनके वकील ने अदालत को बताया कि:- ईडीटीए ट्यूब की असली मार्केट दर और FIR व जांच रिपोर्ट में खरीद दर के बीच विरोधाभास है।
- डॉ. अनिल परसाई का कार्यक्षेत्र केवल वितरण था, न कि खरीद प्रक्रिया या भुगतान को मंजूरी देना।
- खरीदी, भुगतान और स्वीकृति का अधिकार मुख्य संचालक के पास था।

🚨 वर्तमान स्थिति:
- आरोपी अभी भी जेल में बंद हैं।
- विवेचना पूरी हो चुकी है, चालान (charge sheet) भी दाखिल किया जा चुका है।
- बाकी अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच अभी भी जारी है।
⚡ निष्कर्ष:
यह मामला छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा एक बड़ा घोटाला है, जिसमें सरकारी खरीद प्रक्रियाओं का भारी दुरुपयोग किया गया। कोर्ट ने यह मानते हुए जमानत याचिकाएं खारिज कीं कि जांच और साक्ष्य पर्याप्त हैं, जिससे अभियुक्तों को जमानत मिलना उचित नहीं माना गया। अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई संभवतः लंबित प्रक्रिया के तहत चलेगी।
