मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना से जुड़ी विस्तारपूर्वक जानकारी दी जा रही है:
🛕 मुख्यमंत्री द्वारा भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना
📍 स्थान: मुख्यमंत्री निवास, राजधानी रायपुर
📅 दिनांक: आज (तिथि निर्दिष्ट नहीं, पर हाल ही का आयोजन)
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने विधिपूर्वक भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की। इस शुभ अवसर पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, तथा छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती वर्णिका शर्मा भी उपस्थित थीं।
🌸 पूजा-अर्चना का महत्व
- भगवान विश्वकर्मा को संसार का प्रथम वास्तुकार और सृजन-निर्माण का देवता माना जाता है।
- वे उद्योग, निर्माण कार्य, तकनीकी नवाचार, निर्माण क्षेत्र और कलात्मक कार्यों के संरक्षक हैं।
- विश्वकर्मा जयंती का यह पर्व विशेष रूप से उन सभी श्रमिकों, इंजीनियरों, वास्तुकारों, टेक्नीशियनों और कारीगरों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जो देश-प्रदेश के निर्माण कार्य में लगे हैं।

🗣️ मुख्यमंत्री का संदेश
🔹 मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने भगवान विश्वकर्मा को नमन करते हुए प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं।
🔹 उन्होंने कहा:
“छत्तीसगढ़ के श्रमवीर प्रदेश की प्रगति और निर्माण का वास्तविक आधारस्तंभ हैं।”
🔹 उन्होंने विशेष रूप से यह बताया कि:
🌟 श्रम की सार्थकता और सृजन की भावना समाज में प्रतिष्ठित करने का श्रेय भगवान विश्वकर्मा को जाता है।
🌟 यह अवसर हम सभी को समर्पण, ईमानदारी, और मेहनत से कार्य करने की प्रेरणा देता है।
🙌🏻 समाज व राज्य के लिए प्रेरणा
इस अवसर का उद्देश्य केवल पूजा-अर्चना करना नहीं, बल्कि समस्त प्रदेशवासियों को यह संदेश देना था कि:
✔️ मेहनत और ईमानदारी से काम करने में ही समाज और राष्ट्र का विकास निहित है।
✔️ श्रमिक वर्ग को मान्यता देना और उनके योगदान को सराहना आवश्यक है।
✔️ भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद सभी निर्माण, तकनीकी और नवाचार कार्यों में सफलता दिलाए।
👉 सारांश में:
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर में विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर केंद्रीय व राज्य स्तरीय महिला एवं बाल विकास मंत्री तथा बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष भी मौजूद रहीं। मुख्यमंत्री ने भगवान विश्वकर्मा को श्रमिक वर्ग का संरक्षक बताया और प्रदेशवासियों को समर्पण, ईमानदारी व मेहनत से कार्य करने की प्रेरणा दी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के श्रमिकों के योगदान को सम्मानित करना तथा समाज में सृजनात्मक कार्यों को बढ़ावा देना रहा।