मीडिया रिव्यू में कहा जा रहा है कि आर्यन खान की यह पहली वेब सीरीज़ कुछ हिस्सों में मनोरंजक है, लेकिन वह साइड दिखाते-दिखाते खाली-खाली लगने लगती है; यानी कहानी के स्वरूप में कुछ पुराने मुद्दे और अनुमानित मोड़ हैं।
“The Ba*ds of Bollywood”** की रिव्यू का थोड़ा डिटेल्ड विश्लेषण — क्या काम कर रहा है, क्या झिझक रही है, और कुल मिलाकर दर्शकों व आलोचकों ने क्या महसूस किया:

🎯 पॉज़िटिव पहलू / जो चीज़ें सही लग रही हैं
- सैटायर और इंडस्ट्री की पकड़
शो ने बॉलीवुड की अंदर की राजनीति, नेपोटिज़्म, कुछ घटनाएँ (जैसे आलोचकों की समीक्षा, पपराज़ी, कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी, मीडिया की भूमिका आदि) मेटाफ़ोर और नुड़्ज़-एंड-विंक के साथ शामिल की हैं। ये चीज़ें दर्शकों को “भेदने वाला” महसूस होती हैं कि शो अपनी ओर से भी ज़िम्मेदारी ले रहा है, आलोचना कर रहा है, हँसी भी ला रहा है। - कैस्टिंग और कैमियो का जलवा
कॉमन लोगों के स्टार बच्चों, “outsiders”, legacy actors आदि का संतुलन रखा गया है। कैमियो (Shah Rukh Khan, Karan Johar, आदि) कुछ मामलों में हल्के-हँसी के पल देते हैं, मज़ा बढ़ाते हैं। - शब्दों/डायलग की हल्की-फुल्की तीखेपन
कुछ संवादों में ठीकठाक मसाला है — जैसे नेपोटिज़्म चर्चा, सोशल मीडिया की तकरारें, आलोचनाएँ, उद्योग की छुपी बातें जो अक्सर पर्दे के पीछे छुपी होती हैं; ये बातें शो में रोचकता बढ़ाती हैं। - मनोरंजक पल और “गिल्टी प्लेज़र्स”
जो लोग बड़े-बॉलीवुड ड्रामा, अंदर की बातें, अफवाहें, “filmy chaos” पसंद करते हैं, उनके लिए शो उन हिस्सों में काम करता है जहाँ बड़े ड्रामेबाज़ी के सीन, पुरस्कार-शो, मीडिया स्टंट आदि दिखाये गए हैं।
⚠️ उन चीज़ों की जो आलोचना हुई / कमज़ोर लग रही हैं
- पूर्वानुभव / देखा हुआ असर (Predictability / Familiar Tropes)
कई आलोचकों ने कहा कि कहानी का “स्टार बनने की कोशिश”, इंडस्ट्री के दायरे, संघर्ष, अलग-अलग पावर गेम्स — ये सब बातें अब बहुत सी फिल्मों/वेब-सीरीज़ों में देखी जा चुकी हैं। इस वजह से जब शो इन हिस्सों में जाता है, तो नया-परिणाम कम और पुराना अٰभास ज़्यादा होता है। - पेसिंग में उतार-चढ़ाव
कुछ एपिसोड/सीन्स खींचे हुए महसूस होते हैं। जहाँ हास्य चलता है, वहाँ ठीक लगता है, लेकिन जब भावनात्मक गंभीर दृश्य आते हैं तो वो अपेक्षित गहराई नहीं देते। - स्व-मंशा और टोन की असमानता (Tonal Confusion)
आलोचकों ने यह कहा है कि कभी लगता है कि शो “मज़ाक कर रहा है”, कहीं “ड्रामा खेल रहा है”, कहीं “सोशल कमेंटरी करना चाहता है” — पर ये तीनों एक साथ अच्छे से संतुलित नहीं हो पा रहे। जो हिस्से मेटाफ़ोरिक और कटाक्षपूर्ण हों, उनमें मज़ा आता है; पर जहाँ गम्भीरता या भावुकता चाहिए होती है, वहाँ थोड़ी कमी महसूस होती है। - की कुछ कॉन्ट्रोवर्शी / मिसफायर वाले हिस्से
कुछ “anti-woke” या #MeToo आदि विषयों पर बने जोक्स बहुत प्रभावी नहीं हुए, या दर्शकों को लगता है कि वो सतह-स्तर के हैं, गहरे नहीं।
🔍 कुल मिलाकर समीक्षा / निष्कर्ष
- यदि आप बॉलीवुड की अंदरूनी बातें, रिश्ते-नुक़्क़े, चमक-दमक, मीडिया की भूमिका इत्यादि पसंद करते हैं तो यह सीरीज़ शुरुआत में अच्छी पकड़ देती है।
- यह Aryan Khan का एक साहसिक डेब्यू है — अपनी पहचान बनाने की कोशिश के साथ, अपनी हॉबी/स्टाइल के साथ, अपने अनुभवों या इतिहास की झलकियां भी शामिल करते हुए।
- लेकिन अगर आप गहरी ड्रामा की अपेक्षा करते हैं, या ऐसी कहानी चाहते हैं जो इंडस्ट्री सैटायर से आगे बढ़कर भावनात्मक स्तर पर बहुत असर करे — तो यह कुछ जगहों पर उसी तरह से खरा नहीं उतरती।
