1) पृष्ठभूमि : कानपुर की घटना
- स्थान: कानपुर (उत्तर प्रदेश) का रावतपुर क्षेत्र।
- मामला:
- बारावफात (ईद-ए-मिलादुन्नबी) की तैयारियों के दौरान मुस्लिम समाज ने “I Love मोहम्मद” लिखे बोर्ड और टेंट लगाए।
- पुलिस ने इन्हें बिना अनुमति और “नया रिवाज़” बताकर हटवा दिया।
- साथ ही, 9 लोगों पर नामजद और लगभग 15 अज्ञात व्यक्तियों पर एफआईआर दर्ज की गई।
- आरोप: मुस्लिम समाज का कहना है कि यह धार्मिक आयोजन का हिस्सा था, जबकि पुलिस ने इसे कानून-व्यवस्था और अनुमति उल्लंघन का मुद्दा मानते हुए कार्रवाई की।

2) छत्तीसगढ़ में असर : कांकेर का प्रदर्शन
- स्थान: कांकेर (छत्तीसगढ़)।
- प्रदर्शन का स्वरूप:
- शनिवार शाम मुस्लिम समाज ने शांतिपूर्ण जुलूस निकाला।
- रूट: मस्जिद से पुराना बस स्टैंड तक।
- इसमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग, महिलाएँ और युवा शामिल हुए।
- नारेबाजी और आरोप:
- यूपी पुलिस की कार्रवाई को एकतरफा और धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताया।
- कहा गया कि अगर ऐसी घटनाएँ दोहराई गईं, तो विरोध और तेज़ किया जाएगा।
3) मांगें और संदेश
- एफआईआर वापस लेने की मांग।
- धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करने की अपील।
- यह संदेश देने की कोशिश कि “I Love मोहम्मद” लिखना आस्था/श्रद्धा का प्रतीक है, इसे नया रिवाज़ या गैर-कानूनी ठहराना गलत है।
4) व्यापक असर और महत्व
- धार्मिक स्वतंत्रता बनाम प्रशासनिक अनुमति:
यह मामला धार्मिक भावनाओं और कानून-व्यवस्था के बीच संतुलन की बहस खड़ा करता है। - उत्तर प्रदेश से छत्तीसगढ़ तक असर:
कानपुर की कार्रवाई के खिलाफ कांकेर में प्रदर्शन इस बात को दिखाता है कि धार्मिक मुद्दे राज्य की सीमाओं से बाहर जाकर समुदायों में प्रतिक्रिया पैदा कर रहे हैं। - राजनीतिक/सामाजिक आयाम:
- इस तरह के प्रदर्शन आगे चलकर बड़े स्तर पर सामुदायिक एकजुटता का रूप ले सकते हैं।
- प्रशासन के लिए चुनौती यह होगी कि धार्मिक आयोजनों की स्वतंत्रता बनी रहे, लेकिन साथ ही सार्वजनिक व्यवस्था और अनुमति नियमों का पालन भी हो।
👉 निष्कर्ष:
कानपुर में “I Love मोहम्मद” बोर्ड हटाने और एफआईआर दर्ज करने की घटना अब छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों तक असर डाल रही है। कांकेर का यह जुलूस इस बात का संकेत है कि धार्मिक भावनाओं से जुड़े मामलों में एक राज्य की कार्रवाई अन्य राज्यों में भी विरोध और प्रदर्शन की वजह बन सकती है।
