- करीब 26 कंपनियों का प्रारंभिक आकलन हुआ है: E-way बिल ₹822 करोड़ का दिखा, जबकि असल टर्नओवर लगभग ₹106 करोड़ रहा।
- अनुमानित GST नुकसान लगभग ₹100 करोड़ का है।
- इस गिरोह का मुख्य संचालक मो. फरहान सोरातिया बताया जा रहा है।

मुख्य बातें (तुरंत समझने लायक)
- छत्तीसगढ़ GST विभाग ने 170 से ज़्यादा फर्जी कंपनियों वाला एक बड़ा रैकेट पकड़ा है।
- शुरुआती जाँच में 26 कंपनियों ने कुल ₹822 करोड़ के ई-वे बिल बनाए लेकिन अपने टर्नओवर में सिर्फ ₹106 करोड़ दिखाए — जिससे preliminarily GST घाटा लगभग ₹100 करोड़ आंका गया है।
- मामले का आरोपी/मास्टरमाइंड एक GST कंसल्टेंट Mohammad Farhan Sorathia बताया जा रहा है; उसकी ऑफिस/रिहायश पर छापे हुए और कैश-सोने की बरामदगी हुई है।
- जाँच CG-SGST की Business Intelligence Unit (BIU) कर रही थी; टीम ने दस्तावेज़/रेंट एग्रीमेंट/फर्जी पते वगैरह बरामद किए और राज्यों (Punjab, Assam, Manipur, Odisha) में भी रजिस्ट्रेशन पाए गए।
- केस पर और रैड/गिरफ़्तारी/कानूनी कार्यवाही जारी है — अधिक संपत्ति/नागरिकों के खिलाफ नोटिस, और संभावित आपराधिक धाराएँ लगेंगी।
(A) — ये रैकेट सामान्यतः कैसे काम करता है (modus operandi)
- फर्जी GST रजिस्ट्रेशन बनाना: नकली दस्तावेज (रेंट एग्रीमेंट, सहमति पत्र, पहचान-कागजात) से कई डमी/शेल कंपनियाँ GST पोर्टल पर रजिस्टर करायी जाती हैं।
- बोगस/नकली इनवॉइस जारी करना: इन कंपनियों के नाम पर इनवॉइस बनाये जाते हैं — वास्तविक सामान/सेवा सप्लाई नहीं हुई होती, लेकिन इनवॉइस के ज़रिये Input Tax Credit (ITC) क्लेम कराया जाता है।
- ई-वे बिल / फर्जी मूवमेंट दिखाना: ट्रांसपोर्टेशन दिखाने के लिए ई-वे बिल बनाये जाते हैं (कभी-कभी एक ही इनवॉइस के लिए बड़े वैल्यू के ई-वे बिल)। इससे आंकड़े बिगड़कर विभाग के रेकॉर्ड में बड़ा लेन-देेन दिखाई देता है।
- ITC का बँटवारा / कमिशन मॉडल: असल में ITC का लाभ वास्तविक कंपनी तक पहुँचने के बजाय बिचौलियों/कंसल्टेंट/रैकेट संचालकों तक जाता है — कुछ हिस्सा बदले में नकद/सोना/संपत्ति में बदलकर छिपाया जाता है।
(B) — जाँच कैसे पकड़ती है (डिटेक्शन मेकॅनिज्म)
- डेटा-एनालिटिक्स (BIU): GST विभाग की BIU e-way बिल, GSTR-1, GSTR-3B और बैंक/आयकर/ROC डेटाबेस को पार-मिलाकर असमानताएँ (जैसे बहुत बड़े ई-वे पर कम रजिस्टरड टर्नओवर) जल्दी फ्लैग कर देती है।
- रैड/रियल-वर्ल्ड वेरिफ़िकेशन: संदिग्ध पते, वर्किंग ऑफिस के आंकड़े और रेंट-एग्रीमेंट की वैधता की जाँच के लिए छापे होते हैं — जहां फर्जी कागज़ात और डिजिटल रिकॉर्ड बरामद होते हैं।
(C) — कानूनी प्रावधान और सज़ा (संक्षेप)
- Section 132 (CGST Act) के तहत बड़े GST-जालसाज़ी/फर्जी इनवॉइस/ITC धोखाधड़ी के लिए आपराधिक दंड तय हैं — टैक्स-इवेजन के स्तर के अनुसार सज़ा (1–5 साल जेल) और जुर्माना। गंभीर मामलों में मामला गैर-बॉनियेबल/नॉन-बेलियेबल भी बन सकता है।
- Section 122, 129, 132 आदि के तहत रिपोन्सिबिलिटी/पेनल्टी/कन्फिस्केशन वसूली के प्रावधान हैं — साथ में रिवर्सल ऑफ ITC, रजिस्ट्रेशन रद्द, बैंक-खातों पर रोक/अटैचमेंट, संपत्ति ज़ब्त आदि भी किए जाते हैं।
(D) — इस खास मामले में अब तक क्या हुआ (फैक्ट्स)
- BIU ने महीनों की जाँच के बाद पहले Raids किये — 12 सितंबर को आरोपी Farhan के ऑफिस पर रेड; 17 सितंबर को उसके चाचा के घर से ₹1.64 करोड़ नकद और ~400 ग्राम सोना बरामद कहा जा रहा है। नेटवर्क में पंजाब, असम, मणिपुर, ओड़िशा जैसे राज्य भी जुड़े मिले। (प्रारम्भिक अधिकारियों के बयान)।
(E) — प्रभाव (किसे कैसे लगेगा)
- राज्य की आमदनी: प्रारम्भिक गणना सिर्फ 26 फर्मों के डेटा पर ~₹100 करोड़ GST घाटा दिखाती है — पूरा नेटवर्क और अधिक बड़ा हो सकता है।
- सप्लायर-कस्टमर जोखिम: जो वैध फर्में इन फर्जी इनवॉइस/ITC पर निर्भर थीं, उन्हें नोटिस/डिमांड मिल सकती है; आडिट/रिट्रोस्पेक्टिव डिमांड का खतरा।
- बिचौलियों/कंसल्टेंट्स की चेकिंग बढ़ेगी: GST कंसल्टेंट/ब्रोकर नेटवर्क पर कड़ी निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई का खतरा।
(F) — अगला क्या होगा — जांच के संभावित अगले कदम
- और दैनिक/साप्ताहिक छापे और संभावित गिरफ़्तारियाँ (बड़ा रैकेट होने पर कई लोगों तक पहुँच सकता है)।
- रजिस्ट्रेशन रद्द/आदेश, बैंक-खातों पर रोक और परिसंपत्तियों का अस्थायी अटैचमेंट।
- विभाग की ओर से विस्तृत डिमांड नोटिस और संभावित प्रोसीक्यूशन
(G) — आप (व्यवसाय/नागरिक) क्या करें अगर आप प्रभावित हैं
- अपने सप्लायर के GST-रिकॉर्ड (GSTIN, GSTR-2A/2B, e-way history, PAN) की स्वतः-जाँच करें।
- संदिग्ध सप्लायर से मिल कर-डॉक्यूमेंट माँगे; और क्लेम किए गए ITC को तुरन्त reconcile करें।
- नोटिस आने पर अपने चार्टर्ड-एकाउंटेंट/GST कंसल्टेंट की मदद लेकर जवाब दें — बिना जवाब देने से जुर्माना/अपराध बढ़ सकते हैं। (सामान्य व्यवहार और अनुभवी सलाह की आवश्यकता)।
संक्षेप (एक लाइन में)
यह एक डेटा-ड्रिवन GST-फ्रॉड रैकेट है — फर्जी रजिस्ट्रेशन, नकली इनवॉयस और ई-वे-बिल के ज़रिये ITC-गोलमाल करके राजस्व को बड़ा नुक़सान पहुँचाया गया; विभाग ने बड़े पैमाने पर छापेमारी की और प्राथमिक अनुमान में ~₹100 करोड़ का नुकसान निकला है — अब आगे गिरफ्तारी/अटैचमेंट/प्रोसीक्यूशन की उम्मीद है।
