🔹 पृष्ठभूमि
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर–विशाखापट्टनम इकॉनॉमिक कॉरिडोर (सिक्स लेन सड़क) का निर्माण हो रहा है। इस दौरान भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आईं।
- आरोप है कि अधिकारियों (एसडीएम, पटवारी) और भू-माफियाओं ने मिलकर जमीन की खरीद-फरोख्त और दस्तावेज़ों में हेरफेर किया।
- बैक डेट पर दस्तावेज बनाकर जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँटा गया।
- इसके आधार पर कई गुना मुआवजा निकाला गया, जिससे शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुँचा।

🔹 जांच की प्रक्रिया
- राज्य शासन ने मामले की जांच की जिम्मेदारी रायपुर संभाग आयुक्त (महादेव कावरे) को सौंपी।
- आयुक्त ने इस मामले में नई दावा-आपत्तियां और शिकायतें मंगाईं।
- कुल 150 से अधिक शिकायतें/आपत्तियां प्राप्त हुईं।
- जांच के लिए चार अलग-अलग टीमें बनाई गईं (अपर कलेक्टरों की अध्यक्षता में)।
- इनमें से तीन टीमों ने रिपोर्ट जमा कर दी है, जबकि एक टीम की रिपोर्ट लंबित है।
🔹 अब तक की कार्रवाई
- रायपुर संभाग आयुक्त ने प्राथमिक जांच रिपोर्ट केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को भेज दी है।
- स्थानीय स्तर पर स्क्रूटनी (बारीकी से परीक्षण) की प्रक्रिया चल रही है।
- जांच टीमों के गठन के बाद भी नई शिकायतें और आवेदन सामने आए हैं, जिनका परीक्षण हो रहा है।
- प्रभावित किसान मुख्य रूप से कम मुआवजा मिलने की शिकायत कर रहे हैं।
- ऐसे मामलों में किसान संभागायुक्त न्यायालय में अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।
🔹 शिकायतों का स्वरूप
- किसानों की शिकायतें
- अधिग्रहित भूमि का सही मूल्यांकन नहीं हुआ।
- मुआवजा दर बाज़ार मूल्य से बहुत कम है।
- घोटाले के आरोप
- अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत।
- फर्जी/बैक डेट दस्तावेजों का उपयोग।
- जमीन के टुकड़े कर अधिक मुआवजा लेना।
🔹 महत्व
- यह मामला राज्य और केंद्र सरकार दोनों के लिए संवेदनशील है क्योंकि भारतमाला परियोजना प्रधानमंत्री की ड्रीम प्रोजेक्ट्स में गिनी जाती है।
- घोटाले का खुलासा होने से न केवल किसानों में असंतोष बढ़ा है, बल्कि परियोजना की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
- केंद्र मंत्रालय को रिपोर्ट भेजने का मतलब है कि अब अगली कार्रवाई राष्ट्रीय स्तर पर तय होगी।
✨ सारांश
रायपुर–विशाखापट्टनम इकॉनॉमिक कॉरिडोर में हुए भूमि अधिग्रहण मुआवजा घोटाले की जांच रिपोर्ट केंद्र को भेज दी गई है।
- 150 से अधिक शिकायतें दर्ज, जिनमें ज्यादातर किसानों ने कम मुआवजा मिलने की बात कही।
- जांच में अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से करोड़ों का फर्जी मुआवजा लेने का खुलासा।
- अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार की अगली कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
