अध्यक्षता
- बैठक की अध्यक्षता प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) एवं मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक अरुण पांडेय करेंगे।
- स्थान: अरण्य भवन, नवा रायपुर
प्रतिभागी
- छत्तीसगढ़ के सभी राष्ट्रीय उद्यानों (National Parks),
- टाइगर रिजर्व (Tiger Reserves),
- अभ्यारण्य (Wildlife Sanctuaries) के प्रभारी अधिकारी/डीएफओ/क्षेत्रीय वन अधिकारी।
एजेंडा / मुख्य विषय
- वन्यजीव संरक्षण व संवर्धन
- बाघ, तेंदुआ, हाथी और अन्य प्रमुख प्रजातियों के संरक्षण के उपाय।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष (खासकर हाथियों की आवाजाही) को नियंत्रित करने पर रणनीति।
- शिकार व अवैध लकड़ी कटाई पर रोकथाम।
- बाघ पुनर्स्थापन (Tiger Reintroduction)
- बैठक का सबसे अहम एजेंडा मध्यप्रदेश से बाघ और बाघिन को छत्तीसगढ़ लाने की तैयारी है।
- यह पहल राज्य के टाइगर रिजर्व (खासकर उदंती-सीतानदी, अचानकमार, या गुरु घासीदास-संजय रिजर्व) में बाघों की संख्या बढ़ाने और संतुलन बहाल करने के लिए है।
- स्थानांतरण (Translocation) की प्रक्रिया पर चर्चा होगी—जैसे:
- उपयुक्त रिजर्व की पहचान,
- बाड़ाबंदी/क्वारंटाइन एरिया,
- रेडियो कॉलर ट्रैकिंग सिस्टम,
- एमपी सरकार से सहमति और तकनीकी प्रोटोकॉल।

- सुरक्षा और निगरानी
- रिजर्व व अभ्यारण्यों में कैमरा ट्रैप, ड्रोन और जीपीएस सिस्टम से मॉनिटरिंग बढ़ाने पर चर्चा।
- फील्ड स्टाफ को नई तकनीक व प्रशिक्षण देने की योजना।
- इको-टूरिज़्म और सामुदायिक भागीदारी
- स्थानीय ग्रामीणों को ईको-टूरिज्म से जोड़ना, ताकि उन्हें रोज़गार मिले और वे संरक्षण में सहयोग दें।
- जंगल सफारी, नेचर ट्रेल्स और गाइडिंग सुविधाओं का विस्तार।
- बजट और प्रोजेक्ट रिपोर्ट
- CAMPA, NTCA और अन्य परियोजनाओं से मिलने वाले फंड के उपयोग की समीक्षा।
- नए प्रोजेक्ट्स (जैसे कॉरिडोर डेवलपमेंट, हैंड्स-ऑन कंज़र्वेशन रिसर्च) पर चर्चा।
महत्व
- छत्तीसगढ़ में अभी बाघों की संख्या सीमित है और कई रिजर्व में यह घटकर खतरनाक स्तर तक पहुँच चुकी है।
- मध्यप्रदेश से बाघ लाने की योजना लागू होती है तो यह राज्य के टाइगर पॉप्युलेशन को रिवाइव करने में मील का पत्थर साबित होगी।
- बैठक से अगले 1–2 साल की वन्यजीव संरक्षण रणनीति तय होगी।
