🚨 घटना का सारांश
- स्थान: सुकमा जिला, मेट्टागुड़ा कैम्प क्षेत्र (छत्तीसगढ़)
- ऑपरेशन: जिला बल और 203 कोबरा वाहिनी की संयुक्त टीम सर्च ऑपरेशन पर निकली।
- परिणाम: जंगल-पहाड़ी क्षेत्र में नक्सलियों की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री (हथियार और विस्फोटक बनाने की इकाई) का पता चला और उसे ध्वस्त कर दिया गया।

🔎 फैक्ट्री से बरामद सामग्री
बरामदगी की सूची बताती है कि नक्सली बेहद संगठित तरीके से हथियार निर्माण और मरम्मत का नेटवर्क चला रहे थे। मुख्य वस्तुएँ:
- हथियार और उनके हिस्से
- BGL (बड़ा ग्रेनेड लांचर) – 02
- BGL शेल (खाली) – 12
- BGL हेड्स – 94
- लकड़ी के राइफल बट – 06
- भरमार का ट्रिगर मैकेनिज्म – 01
- भरमार ट्रिगर मैकेनिज्म (पिस्टल ग्रिप सहित) – 01
- स्टील पाइप पीस (BGL हेतु) – 80
- निर्माण/मशीनरी उपकरण
- वर्टिकल मिलिंग मशीन – 01
- बेंच वाइस – 03
- हैंड ग्राइंडर मशीन – 01
- आयरन कटर व्हील्स – 06
- मेटल मोल्डिंग पॉट्स – 06
- आयरन स्टैंड – 01
- बोरवेल ड्रिलिंग बिट (10 फीट) – 01
- गैस कटर हेड्स – 02
- टैपिंग रॉड – 01
- अन्य उपकरण/संसाधन
- सोलर बैटरी – 04
- स्टील वाटर पॉट्स – 02
- एल्युमिनियम पॉट – 01
- आयरन स्क्रैप्स – बड़ी मात्रा
⚠️ विश्लेषण
- हथियार उत्पादन का नेटवर्क
- BGL हेड्स, शेल्स और स्टील पाइप्स की मौजूदगी से साफ है कि यह जगह ग्रेनेड लांचर और गोला-बारूद निर्माण का बड़ा केंद्र थी।
- लकड़ी के बट और ट्रिगर मैकेनिज्म से यह भी संकेत मिलता है कि स्थानीय स्तर पर राइफल/भरमार जैसे हथियार बनाए और मरम्मत किए जा रहे थे।
- तकनीकी तैयारी
- मिलिंग मशीन, गैस कटर और मोल्डिंग पॉट्स बताते हैं कि नक्सली इंडस्ट्रियल-लेवल मैन्युफैक्चरिंग सेटअप बना रहे थे।
- सोलर बैटरी जैसी चीज़ें जंगल में बिजली आपूर्ति की समस्या दूर करने के लिए थीं।
- खतरे की गंभीरता
- इस तरह की फैक्ट्रियों के चलते नक्सली लंबे समय तक हथियार और गोला-बारूद की सप्लाई खुद ही सुनिश्चित कर सकते थे।
- बड़ी मात्रा में बरामद सामान से यह साफ है कि यह कोई छोटा यूनिट नहीं बल्कि प्रमुख उत्पादन केंद्र था।
✅ निष्कर्ष
सुरक्षाबलों की कार्रवाई ने नक्सलियों की एक बड़ी सप्लाई-चेन और निर्माण इकाई को ध्वस्त कर दिया है। यह न केवल उनके मौजूदा हथियार-भंडार को कमजोर करेगा बल्कि भविष्य में उनके हथियार निर्माण की क्षमता पर भी बड़ा असर डालेगा।
