अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन ने AI जनित वीडियो और उनके व्यक्तित्व की छवि के दुरुपयोग को रोकने के लिए Google (YouTube) के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में मुकदमा दायर किया है।
मुकदमे की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
- अभिषेक और ऐश्वर्या ने दायर किया है कि उनकी छवि, नाम, आवाज़, व्यक्तित्व (persona) आदि को बिना अनुमति के AI-जनित वीडियो, डीपफेक कंटेंट आदि में उपयोग किया जा रहा है।
- उनका दावा है कि YouTube / Google जैसी प्लेटफॉर्म्स की नीतियाँ (content sharing, data use) ऐसे कंटेंट को ट्रेनिंग डेटा के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देती हैं, जिससे इन गलत/मिसलीडिंग कंटेंट्स की संख्या और प्रभाव बढ़ सकता है।

- वे अदालत से यह मांग कर रहे हैं कि:
- वह सभी ऐसे लिंक / वीडियो जो उनकी अवमानना करते हों, तुरंत हटाए जाएँ (takedown)
- भविष्य में मंचों को बाध्य किया जाए कि नए AI / deepfake कंटेंट को उनकी अनुमति के बिना न बनने दिया जाए और न ही उनका उपयोग AI मॉडल की ट्रेनिंग के लिए किया जाए
- वे आर्थिक क्षतिपूर्ति (damages) की भी माँग कर रहे हैं — Google समेत अन्य जिम्मेदार पक्षों पर मुआवजे का दायित्व लगाएं जाए।
⚖️ अदालत की प्रतिक्रिया / आदेश
- दिल्ली हाई कोर्ट ने अभिषेक बच्चन की याचिका पर अंतरिम आदेश जारी किए हैं, जिसमें कई वेबसाइटों को यह निर्देश दिया गया है कि वे अभिषेक के नाम, छवि और आभासी/AI कंटेंट के अवैध उपयोग को तुरंत बंद करें।
- अदालत ने कहा है कि इन मामलों में URLs (वेब लिंक) की सूची प्रस्तुत करना आवश्यक है — यानि याचिकाकर्ताओं को उन कंटेंट/साइटों के ठिकाने व लिंक बताने होंगे जिन्हें हटाया जाना है।
- दिल्ली HC ने एंटी-ऑर्डर जारी किए हैं कि वेबसाइटें अभिषेक का नाम, चित्र आदि बिना अनुमति के व्यावसायिक उपयोग न करें।
- उसी तरह, ऐश्वर्या राय बच्चन की याचिका पर भी हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत दी है — यानी अवांछित कंटेंट (उनकी तस्वीरें, नाम, AI / deepfake वीडियो) तुरंत हटाने का निर्देश।
- न्यायाधीश ने यह भी कहा है कि यदि याचिका को ठोस लिंक / डिजिटल प्लेटफॉर्म का नाम नहीं दिया गया, तो आदेश नहीं दिया जा सकता — यानी विशिष्ट लिंक बताना जरूरी।
🔍 महत्वपूर्ण बिंदु और चुनौतियाँ
- भारत में Personality Rights (व्यक्तित्व अधिकार) को अभी तक एक सुस्पष्ट, सर्वमान्य कानून (statute) नहीं प्राप्त है — यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न्यायालयों द्वारा डिजिटल युग में व्यक्तित्व अधिकारों की सीमा और संरक्षण की दिशा तय कर सकता है।
- एक चुनौती यही है कि YouTube जैसे प्लेटफार्मों पर लाखों कंटेंट होते हैं — इसलिए सिर्फ “Google को आदेश देना” पर्याप्त नहीं — याचिकाकर्ताओं को स्पष्ट तौर पर कौन-कौन से लिंक / ओरिजनल कंटेंट को हटाना है, यह प्रशासनिक रूप से साबित करना होगा।
- मुकदमे में 518 लिंक पहले ही कोर्ट निर्देशानुसार हटाए जा चुके हैं जिन्हें याचिकाकर्ताओं द्वारा सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन अभी भी ऐसे कई कंटेंट प्लेटफार्म पर बने हुए हैं।
- ऐसे मामलों में यह देखा जाना होगा कि कोर्ट यह कैसे तय करेगा कि कौन-सा कंटेंट “उल्लंघन” है और किसे “न्यायसंगत उपयोग” (fair use) माना जाए — विशेष रूप से AI / deepfake सामग्री के बीच सीमा निर्धारण एक जटिल कानूनी प्रश्न है।
