मुख्य घोषणाएँ
- रेडी-टू-ईट (RTE) का काम स्वसहायता समूह (SHG) की महिलाओं को
- अभी तक रेडी-टू-ईट सप्लाई का काम (मिड-डे मील, आंगनबाड़ी बच्चों के लिए पूरक पोषण इत्यादि) मुख्य रूप से ठेकेदारों या फेडरेशन स्तर पर होता रहा है।
- सीएम साय ने घोषणा की कि यह काम सीधे महिला SHG को सौंपा जाएगा, ताकि वे आय का नया स्रोत बना सकें।
- ऑनलाइन बिक्री – फ्लिपकार्ट से जुड़ाव
- SHG द्वारा निर्मित उत्पाद (जैसे पापड़, अचार, महुआ से बने वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट, हस्तशिल्प, आदि) अब फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेचे जा सकेंगे।
- इसका मतलब है कि ग्रामीण महिला उद्यमियों के सामान को पैन-इंडिया मार्केट मिलेगा, सिर्फ स्थानीय हाट/मेले तक सीमित नहीं रहेगा।

- महुआ का वैल्यू-एडिशन
- सीएम ने उदाहरण दिया कि जशपुर का महुआ पहले सिर्फ शराब बनाने में उपयोग होता था।
- अब इसका उपयोग लड्डू, अचार, सैनिटाइजर जैसे वैकल्पिक उत्पादों में किया जा रहा है।
- यानी, परंपरागत संसाधनों का उपयोग करके स्वदेशी और आधुनिक बाज़ार-उन्मुख प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं।
- “महतारी वंदन योजना” की समीक्षा
- यह योजना राज्य सरकार की महिला-केंद्रित वित्तीय सहायता योजना है।
- सीएम ने महिलाओं से सीधा फीडबैक लिया और महिलाओं ने जवाब दिया कि योजना का लाभ उन्हें समय पर मिल रहा है।
📊 राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से जोड़ाव
- प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य: 3 करोड़ महिलाओं को लखपति बनाना।
- अब तक 2 करोड़ महिलाएँ SHG और लिवलीहुड मिशन के जरिए “लखपति दीदी” बनी हैं।
- सीएम साय ने इसे छत्तीसगढ़ में भी आगे बढ़ाने का भरोसा दिया।
- केंद्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) और स्टार्टअप इंडिया / डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों से SHG को ई-कॉमर्स से जोड़ने पर केंद्र पहले से जोर दे रहा है।
- छत्तीसगढ़ सरकार की इस नई पहल से राज्य के SHG सीधे राष्ट्रीय डिजिटल मार्केटप्लेस में उतरेंगे।
🌍 संभावित प्रभाव
- महिला उद्यमिता को बढ़ावा
- SHG महिलाओं को सिर्फ सरकारी योजनाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, वे बाज़ार की मांग के हिसाब से प्रोडक्ट बना और बेच सकेंगी।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विस्तार
- छोटे गांवों और जिलों के प्रोडक्ट (जैसे जशपुर का महुआ, बस्तर की ट्राइबल हस्तशिल्प सामग्री, बिलासपुर की आचार-पापड़ यूनिट्स) को राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग और ग्राहक मिल सकते हैं।
- स्थानीय संसाधनों का वैल्यू-एडिशन
- महुआ, कोसा, लाख, तसर, बेल आदि पारंपरिक संसाधनों को अब आधुनिक तरीके से पैकेज करके बड़ी कंपनियों की तरह मार्केटिंग की संभावना।
- सरकारी ठेकों में पारदर्शिता
- रेडी-टू-ईट का काम महिलाओं को मिलने से ठेकेदार सिस्टम पर निर्भरता कम होगी और महिलाओं को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
🔎 चुनौतियाँ भी रहेंगी
- ई-कॉमर्स से जुड़ाव के लिए डिजिटल ट्रेनिंग, पैकेजिंग-लॉजिस्टिक्स, क्वालिटी स्टैंडर्ड पर काम करना पड़ेगा।
- SHG महिलाओं को ऑनलाइन मार्केटप्लेस की कंप्लायंस (GST, इनवॉइसिंग, कस्टमर हैंडलिंग, डिलीवरी) समझाना होगा।
- अगर यह सपोर्ट सिस्टम समय पर नहीं मिला, तो योजना कागज़ पर ही सीमित रह सकती है।
👉 कुल मिलाकर, यह ऐलान छत्तीसगढ़ की महिला स्वसहायता समूहों को डिजिटल-मार्केटिंग और सरकारी सप्लाई दोनों का डबल बेनिफिट देने वाला है।
यह ग्रामीण महिला उद्यमिता को “स्थानीय से राष्ट्रीय” (Local to National) प्लेटफॉर्म पर ले जाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा सकता है।
