🌾 मामला क्या है?
- प्रदेश में धान खरीदी के लिए किसानों का एग्री स्टेक पोर्टल पर पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) अनिवार्य किया गया है।
- लेकिन कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पोर्टल समय से ठीक तरह से काम नहीं कर रहा और कई दिन से बंद रहने या तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से लाखों किसान पंजीयन से वंचित रह गए हैं।

📌 कांग्रेस का आरोप
- कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा:
- पोर्टल पर डाटा एंट्री की गड़बड़ियां,
- खसरा-खतौनी (भूमि रिकॉर्ड) के मिलान में समस्या,
- बार-बार पोर्टल डाउन या बंद रहने की वजह से किसानों का पंजीयन नहीं हो पाया।
- पिछले साल की तुलना में इस साल अब तक लाखों किसानों का नाम रजिस्टर में नहीं जुड़ पाया है।
- इसका सीधा असर आगामी धान खरीदी सीजन पर पड़ेगा।
🚜 किसानों की चिंता
- प्रदेश के किसानों को डर है कि यदि समय पर पंजीयन नहीं हुआ, तो वे समर्थन मूल्य पर अपनी उपज सरकार को बेच नहीं पाएंगे।
- ग्रामीण इलाकों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि किसान साइबर कैफे या ऑनलाइन केंद्रों पर चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन पोर्टल काम नहीं कर रहा।
🏛️ राजनीतिक संदर्भ
- छत्तीसगढ़ में धान खरीदी हमेशा से राजनीतिक मुद्दा रहा है।
- कांग्रेस सरकार के समय किसानों से रिकॉर्ड स्तर पर धान खरीदी की बात कही जाती रही।
- अब भाजपा सरकार में पोर्टल की दिक्कतों को लेकर कांग्रेस सरकार पर किसानों के हितों की अनदेखी का आरोप लगा रही है।
- कांग्रेस का कहना है कि सरकार की लापरवाही से इस बार बड़ी संख्या में किसान धान बेचने के अधिकार से वंचित रह सकते हैं।
🔎 आगे क्या?
- कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि:
- पंजीयन की प्रक्रिया को दोबारा खोला जाए,
- पोर्टल की तकनीकी दिक्कतें दूर की जाएं,
- किसानों को पर्याप्त समय और सुविधा दी जाए ताकि कोई भी किसान धान बेचने से वंचित न रहे।
📌 संक्षेप में:
कांग्रेस का कहना है कि एग्री स्टेक पोर्टल की दिक्कतों और बंद होने के कारण लाखों किसान धान खरीदी के लिए जरूरी पंजीयन से वंचित हो गए हैं। इससे किसानों में भारी नाराज़गी है और राजनीतिक माहौल भी गरमा सकता है।
