मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में कथित रूप से कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामले ने देशभर में चिंता बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दवा के सेवन के बाद कई बच्चों की किडनी फेल हो गई, जिससे उनकी मौत हो गई।

घटना के बाद केंद्र और राज्य सरकारें तुरंत हरकत में आ गई हैं। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने शुक्रवार को बच्चों के इलाज में कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर परामर्श (Advisory) जारी की है।
दो साल से कम उम्र के बच्चों को न दें कफ सिरप – विशेषज्ञों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने साफ तौर पर कहा है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और जुकाम की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए।
विशेषज्ञों के मुताबिक, छोटे बच्चों में ये दवाएं गंभीर साइड इफेक्ट्स पैदा कर सकती हैं और कई मामलों में किडनी और लिवर को नुकसान पहुंचाती हैं।
एमपी सरकार ने बिक्री पर लगाई रोक
छिंदवाड़ा में हुई 11 बच्चों की मौत के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दूषित कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। जांच में सामने आया कि यह कफ सिरप कांचीपुरम (तमिलनाडु) की एक फैक्ट्री में तैयार किया गया था।
राज्य सरकार ने इस घटना के बाद तमिलनाडु सरकार को पत्र लिखकर फैक्ट्री की जांच करने का अनुरोध किया है।
केंद्र सरकार भी सख्त निगरानी में
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से रिपोर्ट मांगी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी तरह की दूषित या अनधिकृत दवा बाजार में उपलब्ध न हो।
साथ ही, सभी राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे कफ सिरप और बच्चों की दवाओं के नमूनों की जांच के लिए विशेष अभियान चलाएं।
