छत्तीसगढ़ पुलिस की नक्सल उन्मूलन रणनीति की बड़ी सफलता के रूप में देखी जा रही है।
गरियाबंद जिले में तीन नक्सलियों — जिनमें दो महिलाएं शामिल हैं — के आत्मसमर्पण से सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ा है और नक्सली गतिविधियों के घटते प्रभाव की एक और पुष्टि हुई है।
आइए इसे विस्तार से समझते हैं 👇
🚨 गरियाबंद में नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी सफलता
📍 स्थान: गरियाबंद, छत्तीसगढ़
🗓️ तारीख: अक्टूबर 2025
गरियाबंद पुलिस को नक्सल मोर्चे पर एक और बड़ी कामयाबी मिली है।
गरियाबंद-धमतरी-नुआपड़ा डिवीजन में सक्रिय तीन नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इनमें दो महिला नक्सली और एक पुरुष नक्सली शामिल हैं।

👥 आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की पहचान
| नाम | भूमिका | लिंग | इनाम राशि | सक्रियता अवधि | क्षेत्र |
|---|---|---|---|---|---|
| नागेश | स्थानीय दस्ता सदस्य | पुरुष | ₹1 लाख | 8 वर्ष | गरियाबंद-नुआपड़ा सीमा |
| जैनी | महिला दलम सदस्य | महिला | ₹1 लाख | 6 वर्ष | कोयबेकड़ा, मेचका क्षेत्र |
| मनीला | महिला सहयोगी सदस्य | महिला | ₹1 लाख | 5 वर्ष | बारूदा, देवभोग क्षेत्र |
👉 आत्मसमर्पण के दौरान नागेश ने एक देशी हथियार भी पुलिस को सौंपा।
तीनों पर कई हिंसक घटनाओं में शामिल होने के आरोप हैं — जिनमें ग्रामीणों को धमकाना, सड़क निर्माण कार्यों में बाधा डालना और पुलिस पर हमले शामिल हैं।
🎯 आत्मसमर्पण के कारण
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इन नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ सरकार की “समर्पण एवं पुनर्वास नीति” से प्रभावित होकर हथियार डाले हैं।
🔹 मुख्य कारण:
- जंगलों में लगातार पुलिस दबाव और सर्च ऑपरेशन
- आर्थिक और सामाजिक मुख्यधारा में लौटने की इच्छा
- सरकारी योजनाओं का प्रभाव — पुनर्वास नीति के तहत आवास, नौकरी और वित्तीय सहायता
- स्थानीय ग्रामीणों का सहयोग और जनजागरण अभियान
🗣️ गरियाबंद एसपी निखिल राखेचा का बयान
“यह आत्मसमर्पण हमारे लिए नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
तीनों नक्सली लंबे समय से सक्रिय थे और कई मामलों में वांछित थे।
सरकार की नीति से प्रभावित होकर वे अब समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं।”
एसपी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों को सुरक्षा, पुनर्वास पैकेज और रोजगार प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि अब इस इलाके में सक्रिय नक्सलियों की संख्या घटकर मात्र 30 रह गई है, जबकि 2023 में यह संख्या 80 से अधिक थी।
🧩 नक्सलियों की पृष्ठभूमि और गतिविधियाँ
सूत्रों के अनुसार, ये तीनों नक्सली:
- माओवादी कमांडर रमेश और भीम मंडावी के करीबी सहयोगी रहे हैं।
- कई IED ब्लास्ट और पुलिस-पेट्रोलिंग टीमों पर हमलों में शामिल थे।
- ग्रामीणों में भय का माहौल बनाए रखते थे, ताकि माओवादियों को रसद और जानकारी मिल सके।
🌿 सरकार की समर्पण एवं पुनर्वास नीति: एक नजर में
| पहल | विवरण |
|---|---|
| लॉन्च वर्ष | 2024 (संशोधित रूप में) |
| मुख्य उद्देश्य | नक्सल प्रभावित लोगों को मुख्यधारा में जोड़ना |
| लाभ | वित्तीय सहायता, आवास, शिक्षा, रोजगार प्रशिक्षण |
| अभियान क्षेत्र | गरियाबंद, सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कांकेर आदि |
| अब तक कुल आत्मसमर्पण | 2025 में अब तक 62 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं |
🔍 रणनीतिक महत्व
गरियाबंद-धमतरी-नुआपड़ा डिवीजन ओडिशा बॉर्डर से सटा इलाका है, जो नक्सलियों की पारंपरिक गतिविधि का केंद्र रहा है।
हाल के वर्षों में पुलिस ने यहां:
- कई एंटी-नक्सल ऑपरेशन चलाए,
- ग्रामीण संपर्क अभियान बढ़ाया,
- और विकास परियोजनाओं को गति दी।
इन तीनों के आत्मसमर्पण से इस डिवीजन में माओवादी नेटवर्क कमजोर होने की संभावना है।
🕊️ निष्कर्ष
यह आत्मसमर्पण न सिर्फ गरियाबंद पुलिस की रणनीति की सफलता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि
सरकार की “विकास और संवाद की दोहरी नीति” काम कर रही है।
दो महिला नक्सलियों का सरेंडर विशेष रूप से प्रतीकात्मक है — क्योंकि यह दिखाता है कि जंगल में महिला कैडर भी अब हिंसा से विमुख होकर मुख्यधारा में लौटना चाहती हैं।
