प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि SIR की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है और इसे राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया जा रहा है — आरोप यह है कि कुछ वोटर-एंट्रियों (कभी-कभी बूथ-स्तर पर) को नियमित पैटर्न के तहत हटाया (delete) जा रहा है ताकि किसी विशेष दल को राजनीतिक लाभ मिले। कांग्रेस मांग कर रही है कि इलेक्शन कमीशन (ECI) मतदाता सूचियों का इलेक्ट्रॉनिक डेटा सभी राजनीतिक दलों को दे और किसी भी संशोधन (हटाने/जोड़ने) से पहले बूथ-स्तर एजेंटों (BLO/party booth agents) से चर्चा हो।

2) SIR/एसआईआर क्या है? (सरल शब्दों में)
SIR = Special Intensive Revision (विशेष गहन पुनरीक्षण) — यह ECI द्वारा समय-समय पर चलाया जाने वाला एक दूरगामी, घर-घर (house-to-house) सत्यापन और मतदाता सूची साफ़-सुथरी करने का अभियान है। इसका उद्देश्य डुप्लीकेट, मृत, या गलत प्रविष्टियाँ हटाकर सूचियों को अपडेट करना और नए/हकदार मतदाताओं को जोड़ना है — विशेषकर जनादेश/चुनाव के पहले। यह रूटीन अपडेट से ज़्यादा व्यापक और समय-सीमाबद्ध होता है। Vajiram & Ravi+1
3) कांग्रेस के आरोप — क्या गंभीर हैं?
हाँ — ये आरोप संवेदनशील हैं क्योंकि मतदाता सूची लोकतंत्र की आधारशीला होती है। मुख्य बिंदु:
- अगर वैध मतदाताओं की नीयतपूर्वक हटाई जा रही है, तो इससे मतदान अधिकार सांविधानिक रूप से प्रभावित होगा।
- विपक्ष का कहना है कि SIR का इस्तेमाल नागरिकता/वोटरों को निशाना बनाने या मतदान क्षमता घटाने के लिए किया जा सकता है — खासकर प्रवासी/माइनॉरिटी/कम-जागरूक समूहों में। ऐसे आरोप पहले भी उठते रहे हैं जब बड़े पैमाने पर रोल्स “पुर्ज” किये गए। The Times of India+1
4) कानून और प्रक्रियात्मक दायरा (कौन क्या कर सकता/करना चाहिए)
- ECI के पास वैधानिक शक्ति है कि वह मतदाता सूचियों का पंजीकरण, संशोधन और प्रकाशन करे (Electoral Rolls — ECI)। ECI की वेबसाइट पर मतदाता सेवाएँ, डाउनलोडेबल एरोल और SIR से जुड़ी गाइडलाइन उपलब्ध रहती हैं। जनता के पास अपनी प्रविष्टि/नाम चेक करने के अधिकार भी हैं। Election Commission of India+1
- वैधानिक रूप से यदि किसी का नाम हटाया जा रहा है, तो उस व्यक्ति/दल को नोटिस / शिकायत/अपील का विकल्प मिलना चाहिए — Registration of Electors Rules व Representation of the People Act के प्रावधान चलते हैं। (SIR प्रक्रिया में भी अपील/कम्प्लेन मैकेनिज्म आम तौर पर मौजूद होते हैं।) Sanskriti IAS+1
5) क्या होता है जब वोटर-एंट्री हटाई जाती है — जोखिम
- वैध मतदाता हटाए गए तो उनका वोटष्ट-हक छिनता है (Election disenfranchisement)।
- विशेषकर कमीशन का इलेक्ट्रॉनिक डेटा (ERolls/CSV/PDFs) अगर पारदर्शी न हो तो संदिग्धता बढ़ जाती है। विपक्ष मांग कर रहा है कि ECI डिजिटल फाइलें पार्टियों को दे ताकि वे स्वतंत्र रूप से चेक कर सकें। The Economic Times+1
6) विपक्ष/जनता के पास क्या कदम हैं (व्यावहारिक)
- ECI से डेटा की मांग — राजनीतिक दल/जनहित संगठन ECI से मतदाता-सूची का इलेक्ट्रॉनिक डेटा मांग सकते हैं और उसका स्वतंत्र विश्लेषण कर सकते हैं। (ECI का Voter Services Portal और e-roll डाउनलोड सुविधाएँ उपलब्ध हैं)। Electoral Search+1
- BLO/पार्टी बूथ एजेंट से मिलकर सत्यापन — स्थानीय बूथ-स्तरीय अधिकारी (BLO) से मिलकर हटाई गई प्रविष्टियों की जाँच कराएं; यदि त्रुटि हो तो तुरंत आपत्ति दर्ज कराएँ।
- RTI/शिकायत/कोर्ट पिटिशन — यदि प्रक्रियागत अनियमितता लगे तो RTI के तहत दस्तावेज माँगा जा सकता है या उच्च न्यायालय/राष्ट्रीय लोकपाल में याचिका दायर की जा सकती है।
- नागरिको द्वारा स्वयं जाँच — आम मतदाता अपनी नाम-स्थिति ECI पोर्टल/मतदाता सेवा से जाँच लें; अगर नाम गायब है तो फॉर्म 6/7 के जरिए पुनः नामांकन या आपत्ति। Election Commission of India+1
7) सरकार/ECI की तरफ से संभावित जवाब क्या होंगे
- ECI आमतौर पर कहेगा कि SIR का उद्देश्य सूची की “सफाई” है — मृत/डुप्लीकेट/गलत प्रविष्टियाँ हटाना और वास्तविक मतदाताओं को जोड़ना। वे पारदर्शिता और आपत्तियों के लिए मैकेनिज्म बताते हैं। (इसके साथ विपक्षी चिंताओं के जवाब में ECI या राज्य CEO/Chief Electoral Officer बयान जारी कर सकते हैं)। The Economic Times+1
8) मीडिया व विश्लेषण — क्या देख रहे हैं रिपोर्टर/विशेषज्ञ?
- मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि SIR 2025 को 12 राज्यों/UTs में चलाया जा रहा है और विपक्ष ने इसे लेकर चिंता जताई है; कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि SIR से सही तरह से डुप्लीकेट और मृत प्रविष्टियाँ हटेंगी, जबकि विपक्ष इसे राजनीतिक उपयोग की आशंका मान रहा है। इसलिए डेटा की पारदर्शिता और बूट-लेवल सत्यापन अहम हो गया है।
