🔍 क्या निर्देश दिए गए हैं
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks / PSBs) को माइक्रो, स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) और कृषि क्षेत्र को ऋण (क्रेडिट) देने पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं।
- बैंकिंग में कम-लागत जमा (low-cost deposits) की प्रवृत्ति को बनाए रखने के लिए कहा गया है ताकि बैंक का फंडिंग कॉस्ट कम रहे।
- बैंकिंग संस्थानों से कहा गया है कि वे एसेट क्वालिटी (asset quality) — यानी खराब ऋण (non-performing assets) की स्थिति, सुधार और प्रबंधन — पर बेहतर काम करें।
- इनोवेशन-टेक्नोलॉजी पहलें, विशेषकर AI-चालित (artificial intelligence) ट्रांसफॉर्मेशन, डेटा एनालिटिक्स, डिजिटल बैंकिंग, साइबर-सुरक्षा आदि अपनाने को कहा गया है ताकि बैंकिंग सेवाएं बेहतर, कुशल और ग्राहक-केन्द्रित हों।
- बैंकिंग समीक्ख्या (review) बैठक में यह भी निर्देश दिए गए कि बैंक शासन-प्रणाली, अंडरराइटिंग (उधार देने के नियम), ऑपरेशनल रेजिलिएंस (संचालन-लचीलापन), डिजिटल अभिनव आधार (digital innovation base) आदि सब पर काम करें।

📌 क्यों यह निर्देश महत्वपूर्ण हैं
- MSME और कृषि सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण हिस्से हैं — रोजगार, ग्रामीण विकास, अर्थसंगठन आदि। बैंकिंग क्रेडिट का इन सेक्टरों में बढ़ना अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करता है।
- कम-लागत जमा बैंक के लिए फंडिंग-कॉस्ट को घटाते हैं, जिससे मार्जिन बेहतर होता है और ऋण-लिविंग (loan الكتاب) क्षमता बढ़ती है।
- एसेट क्वालिटी सुधरने से बैंकिंग जोखिम कम होता है, बैंक सुदृढ़ बनते हैं, और वित्तीय प्रणाली स्थिर रहती है।
- AI तथा डिजिटल बैंकिंग की ओर बढ़ने से बैंकिंग सेवाएं तेज-तर्रार, ग्राहक-अनुकूल एवं आधुनिक बन सकती हैं — जिससे बैंक की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी।
- इन सुधारों से बैंकिंग क्षेत्र “सक्षम-और-समावेशी” बन सकता है — जिससे ग्रामीण, लघु उद्यमी, पिछड़े क्षेत्रों को बैंकिंग सेवाएं बेहतर मिलेंगी।
📊 किन वर्तमान आँकड़ों पर आधारित है
- PSBs ने H1 FY2025-26 में कुल नेट प्रॉफिट तकरीबन ₹93,675 करोड़ दर्ज किया है।
- अग्रिम ऋण (advances) ~12.3% वर्ष-प्रतिवर्ष बढ़े और जमा (deposits) ~9.6% बढ़े।
- सकल NPA (Gross NPA) ~2.30% और नेट NPA (Net NPA) ~0.45% हैं।
🧭 बैंकिंग क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष सुझाव/दिशाएँ
- बैंक को MSME/कृषि क्रेडिट को प्राथमिकता देना होगा — अर्थात् ऐसे उद्यमियों/किसानों को ऋण देना जिनका पहुँच कम था।
- बैंक को इम्पोरव्ड ग्राहकीय अनुभव देना होगा — जैसे ऋण-आवेदन की प्रक्रिया तेज हो, डिजिटल प्लेट-फॉर्म उपयोग हो, शिकायत निपटान बेहतर हो।
- बैंक को AI एवं डेटा एनालिटिक्स अपनाना होगा — जोखिम पहचान, ऋण निर्णय, धोखाधड़ी-निगरानी-सिस्टम में बेहतर बनाना होगा।
- बैंक को कम-लागत जमा जुटाने पर ध्यान देना होगा — इसका मतलब हो सकता है बचत खाते, चालू खाते, बैंक-खाता विस्तार बढ़ाना।
- बैंक को ओपरेटिंग मॉडल सुधारना होगा — अंडरराइटिंग पॉलिसी सुधरना, पूर्व चेतावनी प्रणाली (early-warning), पुनर्पूंजीकरण (resolution) के उपकरण बेहतर होना।
⚠️ ध्यान देने योग्य बिंदु / चुनौतियाँ
- MSME और कृषि क्षेत्र में ऋण जोखिम अपेक्षाकृत ज्यादा हो सकते हैं (जैसे मौसम-प्रभावित कृषि, लघु उद्यमों की अनिश्चितता) — इसलिए बैंक को जोखिम प्रबंधन बहुत सावधानी से करना होगा।
- डिजिटल बैंकिंग, AI-उपकरण अपनाना आसान नहीं है — साइबर सुरक्षा, डेटा प्राइवेसी, तकनीकी निवेश आदि की चुनौतियाँ मौजूद हैं।
- कम-लागत जमा जुटाना आजकल चुनौतियों से भरा है क्योंकि प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में बैंक को बेहतर दरों पर जमा आकर्षित करनी पड़ सकती है।
- बैंकिंग सुधारों का लाभ धीरे-धीरे दिख सकता है — इसलिए समय लगेगा और धैर्य आवश्यक है।
