अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस पर जांजगीर-चांपा (छत्तीसगढ़) जिले में हुई एक बेहद प्रेरणादायक पहल है, जिसमें प्रशासन ने बालिकाओं को नेतृत्व का अनुभव देने के उद्देश्य से 12वीं कक्षा की छात्रा दीक्षा सारथी को 15 मिनट के लिए ‘प्रतीकात्मक कलेक्टर’ बनाया। नीचे पूरी जानकारी विस्तार से—
⭐ कैसे बनी दीक्षा 15 मिनट की कलेक्टर?
- कार्यक्रम यूनिसेफ, पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित किया गया।
- एक निजी स्कूल की छात्राओं का दल कलेक्टर जन्मेजय महोबे से मिलने पहुंचा।
- इसी दौरान “लीडरशिप एक्सपीरियंस” देने के लिए कलेक्टर की कुर्सी 15 मिनट के लिए दीक्षा को सौंप दी गई।
- ग्रामीण क्षेत्र के एक निजी स्कूल में पढ़ने वाली दीक्षा ने आज से पहले कभी कलेक्टर से सामना तक नहीं किया था, लेकिन इस पहल ने उन्हें नेतृत्व का वास्तविक अनुभव दिया।
⭐ दीक्षा ने कलेक्टर बनकर कौन-कौन से तीन बड़े निर्देश दिए?
1️⃣ डिजिटल फास्टिंग को बढ़ावा देना
- छात्रों और युवाओं में मोबाइल/सोशल मीडिया की लत को कम करने पर जोर।
- दिन में कुछ समय डिजिटल गैजेट्स से दूर रहकर पढ़ाई, खेल, परिवार और खुद से जुड़ने की आदत विकसित करने की सलाह।
- स्कूलों में डिजिटल फास्टिंग दिवस या सप्ताह चलाने का सुझाव।

2️⃣ पॉलिथीन मुक्त जिला बनाने के निर्देश
- जिले को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए एक अभियान चलाने का प्रस्ताव।
- दुकानदारों, बाजारों और ग्रामीण इलाकों में सिंगल-यूज़ प्लास्टिक बंद करने की दिशा में कार्रवाई करने को कहा।
- कपड़े/जूट के बैग के उपयोग को बढ़ावा देने का निर्देश।
3️⃣ “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान को मजबूत करना
- जिले में पहले से चल रहे अभियान “एक पेड़ माँ के नाम” को नया प्रोत्साहन।
- सिर्फ पौधे लगाने नहीं बल्कि उन्हें सुरक्षित रखने, पानी देने और निगरानी की जिम्मेदारी तय करने पर बल।
- हर छात्र/परिवार को एक—एक पौधा अपनी माता के नाम पर लगाने की अपील।
⭐ छात्राओं पर इसका प्रभाव?
- इस पहल ने छात्राओं के अंदर आत्मविश्वास बढ़ाया।
- कई छात्राओं ने सार्वजनिक प्रशासन, सिविल सर्विस और सामाजिक नेतृत्व में रुचि दिखाई।
- दीक्षा सारथी ने तो इसी दिन घोषणा कर दी कि अब उनका लक्ष्य यूपीएससी पास कर आईएएस बनना है।
⭐ कलेक्टर जन्मेजय महोबे की टिप्पणी
- उन्होंने कहा कि — “छात्राओं को नेतृत्व का अवसर देना जरूरी है, ताकि वे समाज और प्रशासन को समझ सकें और भविष्य में बड़े पदों पर पहुंच सकें।”
- इस तरह की पहल से बच्चों को निर्णय लेने, जिम्मेदारी संभालने और सामाजिक मुद्दों को समझने का मौका मिलता है।
⭐ यह पहल क्यों महत्वपूर्ण है?
- बाल नेतृत्व को बढ़ावा देती है
- जागरूकता बढ़ाती है — पर्यावरण, डिजिटल डिटॉक्स, सामाजिक जिम्मेदारी
- सरकारी तंत्र के प्रति बच्चों में विश्वास और समझ बढ़ती है
- लड़कियों में आईएएस बनने की प्रेरणा और साहस जगाती है
