कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट के 26–27 नवम्बर के छत्तीसगढ़ दौरे को लेकर राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। पायलट का यह दौरा राज्य में जारी SIR (Special Intensive Revision) अभियान की समीक्षा और संविधान बचाओ कार्यक्रमों के मद्देनजर अहम माना जा रहा है। उनके दौरे पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने जोरदार प्रतिक्रिया दी है और SIR को लेकर दोनों ही दलों ने मतभेद स्पष्ट किए हैं।

किरण सिंह देव का आरोप — “कांग्रेस भ्रम फैला रही है”
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने सचिन पायलट के दौरे पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस SIR को लेकर भ्रम फैला रही है। उनका कहना है कि SIR की प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है, जबकि कांग्रेस विरोध भी कर रही है — इस विरोध का उद्देश्य साफ़ नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वोटर लिस्ट में केवल जायज़ मतदाताओं के नाम होने चाहिए और कांग्रेस जनता के सामने गलत नॉरेटिव पेश कर रही है।
सांसद संतोष पांडेय का रुख — “SIR हमारा नैतिक कर्तव्य”
राजनांदगांव से बीजेपी सांसद संतोष पांडेय ने भी पायलट के दौरे पर कटाक्ष किया और कहा कि SIR एक नैतिक कर्तव्य है, जिसे लोग सहयोग से पूरा करें। पांडेय ने यह भी जोड़ा कि कोई भी नहीं चाहेगा कि राज्य में बाहरी अवैध प्रवासी बसेँ — और इसे जनता का सवाल बताया। उन्होंने बिहार में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि जहां भी किसी की शिकायत हुई हो, उसे सामने लाएं; फिलहाल ऐसी कोई व्यापक शिकायत दर्ज नहीं हुई है।
कांग्रेस का एजेंडा — SIR की निगरानी और जनता संवाद
कांग्रेस की ओर से पायलट का दौरा SIR की प्रक्रिया का निगरानी और बूथ-स्तर पर तैयारियों की समीक्षा के उद्देश्य से है। पार्टी का कहना है कि SIR में लोगों तक सही जानकारी पहुँचे और किसी भी पात्र मतदाता को वंचित न किया जाए — इसलिए प्रदेश प्रभारी का दौरा रणनीतिक मायने रखता है। इस दौरे के दौरान पायलट धमतरी, कांकेर और बस्तर में कार्यक्रमों और समीक्षा बैठकों में हिस्सा लेंगे।
राजनीतिक मायने और अटकलें
- पायलट का दौरा SIR के राजनीतिक असर और जनसंपर्क दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है; इसमें मतदाताओं में जागरूकता वृद्धि और पार्टी संगठन के परीक्षण की संभावना है।
- भाजपा इसे सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के नजरिये से देख रही है तथा SIR के समर्थन में सार्वजनिक राय बनाए रखने का प्रयास कर रही है।
बयानबाज़ी के प्रमुख मुद्दे
- पारदर्शिता बनाम भय/भ्रम का आरोप: कांग्रेस कहती है कि SIR में जागरूकता और न्याय सुनिश्चित होना चाहिए; भाजपा कह रही है कि SIR आवश्यक और संवैधानिक प्रक्रिया है।
- लोकल-सेंसिटिव मुद्दे: कुछ राजनीतिक बयानों में ‘बाहरी आव्रजन’ को लेकर भावनात्मक रुख दिखाई देता है — जिसे दोनों पक्ष अपने-अपने शब्दों में उभार रहे हैं।
- शिकायतों की मांग: भाजपा कहती है कि यदि कहीं गड़बड़ी है तो शिकायतें दर्ज कराई जाएं; कांग्रेस इसे व्यवस्था की कमजोरी बताकर उठाती है।
आगे क्या देखने को मिल सकता है?
- सचिन पायलट की समीक्षा बैठकों और सार्वजनिक कार्यक्रमों के बाद राजनीतिक बहस और तेज़ हो सकती है—खासकर अगर कोई ठोस शिकायतें या रिपोर्टें सामने आती हैं।
- चुनावी रणनीति के लिहाज से दोनों दल SIR को अपने-अपने एजेंडे के अनुरूप चुनौतियों/फ़ायदों के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
निष्कर्ष
सचिन पायलट का दौरा और उस पर भाजपा के नेताओं के तीखे बयान छत्तीसगढ़ में SIR को एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं। जहां भाजपा SIR को संवैधानिक और आवश्यक प्रक्रिया बताकर समर्थन जुटा रही है, वहीं कांग्रेस इसे मतदाताओं तक पहुंच और पारदर्शिता के मुद्दे के रूप में उठा रही है। अब यह देखना अहम होगा कि बूथ-स्तर पर तैयारियों और रिपोर्टों का क्या असर होता है और कौन-सा नैरेटिव जनमानस पर प्रबल होगा।
