डोंगरगढ़ में पूर्व प्रधानमंत्रियों की प्रतिमाओं को लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक प्राथमिकताओं पर सवाल उठ रहे हैं। शहर में हाल ही में दो अलग-अलग तस्वीरें सामने आई हैं, जो यह स्पष्ट करती हैं कि नेताओं के सम्मान में भेदभाव या असमानता दिखाई दे रही है।

अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा: चमक और सुरक्षा
25 दिसंबर को भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर पूरा प्रशासन सक्रिय और सतर्क दिखाई दिया।
- कार्यक्रम स्थल को सुंदर ढंग से सजाया गया।
- सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए।
- सीसीटीवी कैमरे लगाए गए।
- राजनीतिक स्तर पर भी विशेष तैयारियां की गईं।
प्रतिमा को सुरक्षा और देखभाल के साथ रखा गया, जिससे अटल जी का सम्मान भव्यता और प्रशासनिक सक्रियता के साथ दर्शाया गया।
इंदिरा गांधी की प्रतिमा: उपेक्षा और क्षति
इसके विपरीत, शहर के हृदय स्थल में स्थित हाई स्कूल परिसर में इंदिरा गांधी की प्रतिमा महीनों से खंडित और क्षतिग्रस्त अवस्था में खड़ी है।
- शरारती तत्वों द्वारा प्रतिमा को कई बार नुकसान पहुंचाया गया।
- प्रशासन ने अभी तक स्थायी समाधान या मरम्मत नहीं कराई।
- संबंधित राजनीतिक संगठन की ओर से भी कोई ठोस विरोध या पहल नहीं हुई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायतें करने के बावजूद उन्हें केवल आश्वासन ही मिला, न कि प्रतिमा की सुरक्षा या मरम्मत के लिए वास्तविक कदम उठाए गए।
प्रशासन और स्कूल प्रशासन की स्थिति
- थाना प्रभारी संतोष जायसवाल ने कहा कि शहर के प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और पुलिस नियमित गश्त कर रही है।
- हाई स्कूल प्राचार्य जागेश्वर चंदेल ने बताया कि प्रतिमा के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी नगर पालिका को दे दी गई है।
- नगर पालिका अधिकारी खिलेंद्र भोई ने मरम्मत कराने का भरोसा दिया, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ।
सवाल उठता है: सम्मान का पैमाना क्या है?
यह मामला अब सिर्फ एक प्रतिमा तक सीमित नहीं रह गया है। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं:
- क्या राष्ट्रीय नेताओं के सम्मान का पैमाना राजनीतिक सुविधा और सक्रियता के आधार पर तय किया जा रहा है?
- क्या देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों का सम्मान समान रूप से नहीं होना चाहिए?
डोंगरगढ़ में एक ओर चमकती और सुरक्षित अटल जी की प्रतिमा सत्ता की सक्रियता दिखा रही है, वहीं टूटी हुई इंदिरा गांधी की प्रतिमा प्रशासनिक संवेदनहीनता की तस्वीर पेश कर रही है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सवाल यह नहीं है कि किसकी प्रतिमा बड़ी या भव्य है, बल्कि यह है कि दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों का सम्मान समान रूप से क्यों नहीं किया जा रहा। यह स्थिति प्रशासनिक प्राथमिकताओं और राजनीतिक दृष्टिकोण पर गंभीर प्रश्न खड़ा करती है।
