जब परदे पर किरदार निभाने वाली अभिनेत्री को खुद की जिंदगी सबसे भारी रोल सौंप दे — तब जन्म लेती है असली कहानी। तनिष्ठा चटर्जी, जिन्होंने न सिर्फ कैमरे के सामने, बल्कि जिंदगी के तूफानों में भी अपने अभिनय, सोच और संघर्ष से सबको चौंकाया, आज चौथे स्टेज के मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं।

पिता को खोने के एक साल के भीतर कैंसर से खुद की लड़ाई और एक 9 साल की बेटी की मां होने की जिम्मेदारी… ज़िंदगी जैसे कह रही हो — कट नहीं, कंटिन्यू करो।
“मैं थक गई हूं मजबूत होने से…”
तनिष्ठा कहती हैं —
“कई बार जब आप लोगों को प्रेरित करने वाले किरदार निभाते हैं, तो लोग भूल जाते हैं कि आप खुद भी इंसान हैं… थकते हैं, टूटते हैं।”
मां, बेटी और खुद की देखभाल…
44 साल की उम्र में बिना शादी के एक बच्ची को गोद लेना और उसे अकेले पालना, खुद एक सामाजिक क्रांति जैसा है।
“किसी पुरुष के साथ समय बिताने से बेहतर था कि एक बच्चा गोद लूं। मैं 16 साल की उम्र से ही तय कर चुकी थी कि मैं गोद लूंगी।”
अभिनय से इंसान बनने की कहानी
नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली फिल्म ‘देख इंडियन सर्कस’
‘गुलाब गैंग’, ‘बियॉन्ड द क्लाउड्स’, ‘द स्टोरीटेलर’ जैसी फिल्मों में अपनी अलगपहचान
हॉलीवुड से लेकर इंडी सिनेमा तक छाप छोड़ चुकी हैं