पृष्ठभूमि
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने मंगलवार को मंत्रिमंडल का विस्तार किया और तीन नए चेहरों – गजेन्द्र यादव, राजेश अग्रवाल और गुरु खुशवंत साहेब – को मंत्री बनाया। इसके साथ ही अब कुल मंत्रियों की संख्या (मुख्यमंत्री समेत) 14 हो गई। शपथ ग्रहण समारोह सुबह 10:30 बजे राज्यपाल रमेन डेका ने राजभवन में आयोजित किया।
- गजेन्द्र यादव → स्कूल शिक्षा, ग्रामोद्योग, विधि एवं विधायी कार्य विभाग
- गुरु खुशवंत साहेब → कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार, अनुसूचित जाति विकास
- राजेश अग्रवाल → पर्यटन, संस्कृति, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व

भूपेश बघेल का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने इस विस्तार को अवैधानिक बताया है। उनका कहना है—
- 2003 के कानून (91वाँ संविधान संशोधन) के मुताबिक किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा की कुल संख्या का 15% से अधिक नहीं हो सकती।
- छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 विधायक हैं, यानी 15% के हिसाब से मंत्रियों की संख्या 13.5 बनती है। व्यावहारिक रूप से इसका मतलब 13 मंत्री है।
- जब 2018 में कांग्रेस की सरकार थी, तब बघेल ने केंद्र सरकार से पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ के भौगोलिक आकार और विधान परिषद न होने का हवाला देते हुए 20% तक मंत्रियों की अनुमति मांगी थी। लेकिन केंद्र से कोई मंजूरी नहीं मिली।
- ऐसे में सवाल यह है कि मौजूदा साय सरकार को 14 मंत्री बनाने की अनुमति कब मिली? अगर कोई अनुमति नहीं आई तो यह कदम कानून के खिलाफ है और अवैधानिक है।

सरकार का बचाव – हरियाणा मॉडल
- सरकार समर्थकों का तर्क है कि हरियाणा में भी 90 विधायक हैं और वहाँ की बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री हैं।
- उसी फॉर्मूले को छत्तीसगढ़ में भी लागू किया गया है।
- 90 विधायकों पर 15% = 13.5, जिसे राउंड ऑफ करके 14 मंत्री मान लिया गया।
- इसलिए मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री बनाए जाने को वैध बताया जा रहा है।
- हालांकि, छत्तीसगढ़ के गठन (2000) से अब तक अधिकतम 13 मंत्री ही नियुक्त होते आए थे।
राजनीतिक असर
- यह मुद्दा अब कांग्रेस बनाम बीजेपी की सीधी लड़ाई में बदल गया है।
- कांग्रेस इसे कानून उल्लंघन और अवैध नियुक्ति का मामला बता रही है।
- बीजेपी इसे संवैधानिक प्रावधान के तहत वैध मान रही है और कह रही है कि इसमें कोई ग़लत नहीं है।
- आने वाले दिनों में यह विवाद विधानसभा से लेकर अदालत तक पहुँच सकता है।
👉 कुल मिलाकर, 14 मंत्री बनाने के फैसले ने साय सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को तो मजबूती दी है, लेकिन इसके कानूनी औचित्य पर बड़ा सवालचिह्न खड़ा हो गया है।