गृह मंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों की ओर से आए पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए दो मुख्य बातें कहीं:
- हिंसा रोकने की शर्त
- नक्सलियों से कहा कि यदि वे सचमुच शांति वार्ता चाहते हैं, तो सबसे पहले आम लोगों की हत्या बंद करें।
- साथ ही, जंगल और सड़कों पर जो IED (बारूदी सुरंग/विस्फोटक) लगाए गए हैं, उन्हें हटा लें।
- सरकार का साफ संदेश है कि बातचीत तभी संभव होगी, जब नक्सली अपने हिंसक तौर-तरीकों को छोड़ने की ठोस पहल दिखाएँ।
- पत्रों का स्रोत
- गृहमंत्री ने बताया कि नक्सलियों की ओर से मिले पहले पत्र को पोलित ब्यूरो सदस्य ने भेजा है।
- जबकि दूसरा पत्र तेलंगाना से आया है और इसे जूनियर कैडर ने लिखा है।
- यानी संगठन के अलग-अलग स्तर से शांति वार्ता की बात सामने आ रही है, लेकिन सरकार इसे गंभीरता से तभी लेगी जब जमीनी स्तर पर हिंसा रुके।

शराब घोटाले पर टिप्पणी
गृह मंत्री और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले से जुड़े ED के खुलासे पर भी बड़ा बयान दिया।
- ED का दावा
- ईडी ने हाल ही में खुलासा किया था कि शराब घोटाले में शामिल पैसों को कार्टून (डिब्बों) में भरकर कांग्रेस भवन तक पहुँचाया गया।
- गृहमंत्री का आरोप
- उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान पूरा प्रशासन दबाव में झोंक दिया गया था।
- “अच्छे अधिकारी” भी कांग्रेस सरकार के दबाव में फँस गए।
- शराब व्यापार के लिए बाहरी लोगों को संरक्षण (प्रश्रय) दिया गया था।
- जांच का संकेत
- शर्मा ने कहा कि अब जब जांच चल रही है, तो रोज़ नई-नई सच्चाइयाँ और कथाएँ सामने आएँगी।
- कांग्रेस सरकार की नीतियों को उन्होंने सीधे तौर पर घोटाले का जिम्मेदार ठहराया।
राजनीतिक संदर्भ
- नक्सली वार्ता पर बयान से सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह बिना शर्त बातचीत के पक्ष में नहीं है; हिंसा बंद करना और IED हटाना प्राथमिक शर्तें हैं।
- शराब घोटाला छत्तीसगढ़ की राजनीति में पहले से ही बड़ा मुद्दा रहा है। भाजपा अब इसे कांग्रेस की “भ्रष्टाचार की निशानी” के रूप में प्रचारित कर रही है।
- विजय शर्मा के दोहरे बयान से साफ है कि भाजपा सरकार एक तरफ नक्सल मोर्चे पर कड़ा रुख दिखा रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोपों को और हवा दे रही है।
