जिसका उद्देश्य है पशु-मानव संक्रमण (zoonotic diseases) से लड़ना और भविष्य में संभावित महामारी को रोकना। T
- 75% से अधिक नए मानव रोग पशुओं से आ रहे हैं — इस पहल के अंतर्गत मानव, पशु तथा पर्यावरण स्वास्थ्य को जोड़कर काम होगा।
- महत्व: महामारी के अनुभव के बाद ऐसी तैयारियाँ ज्यादा मायने रखती हैं।
National One Health Mission
National One Health Mission (NOHM) एक केंद्रीय बहु-न्यायालयी (cross-ministerial) पहल है जिसका उद्देश्य है मानव-स्वास्थ्य, पशु-स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एकीकृत करके zoonotic (जानवर→मानव) संक्रमणों की निगरानी, शोध और प्रतिक्रिया क्षमता मजबूत करना। इसका उद्देश्य भविष्य में संभावित महामारी को रोकना और समय रहते संक्रमण का पता लगाना है।
कितनी फंडिंग और किस रूप में है (₹383 करोड़)
केंद्र सरकार ने इस मिशन के लिये लगभग ₹383 करोड़ आवंटित किए हैं — ये राशि क्षेत्रीय रिसर्च-हब, एडवांस्ड डायग्नोस्टिक लैब, सेंटिनल साइट्स (निगरानी केंद्र), डेटा-शेयरिंग प्लेटफार्म और बहु-विभागीय समन्वय के लीगल/पॉलिसी कामों में लगाई जाएगी। मिशन PM-STIAC (Prime Minister’s Science, Technology & Innovation Advisory Council) के अनुमोदन के बाद आगे बढ़ रहा है।

“75% नए मानव रोग पशुओं से आते हैं” — यह आंकड़ा और स्रोत
- यह कोई संदेहित बयान नहीं बल्कि वैश्विक सार्वजनिक-स्वास्थ्य साहित्य में बार-बार उद्धृत निष्कर्ष है: लगभग 60% ज्ञात मानव संक्रमण जंतु-उत्पत्ति के हैं और नए/उभरते हुए रोगों का ~75% जीवों (जंगली या पालतू) से मनुष्यों में ‘spillover’ करके आता है। यह तथ्य WHO/वैज्ञानिक लेखों में भी बताया गया है। इसका मतलब है कि अधिकतर नई बीमारियाँ जिनसे मानव प्रभावित होते हैं — उनकी नज़र जंतुओं/वन्यजीवों/पशुधन से जुड़ी हुई होती है।
मिशन के मुख्य घटक (What the Mission will do)
- एकीकृत निगरानी (Integrated surveillance): मानव, पशु और पर्यावरण से जुड़े डेटा को जोड़कर ‘अर्ली वॉर्निंग’ सिस्टम बनाना।
- रिसर्च हब और डायग्नोस्टिक्स: क्षेत्रीय रिसर्च-सेंटर और उच्च तकनीक-लैब जहां नए पैथोजन की पहचान हो सके।
- सेंटिनल साइट्स/नेटवर्क: मेडिकल और वेटेरिनरी कॉलेजों/AIIMS जैसे केंद्रों को क्षेत्रीय-निगरानी केंद्र बनाना। (उदाहरण: AIIMS Rajkot को NOHPPCZ के तहत रीजनल सेंटर नियुक्त किया गया)
- डाटा-शेयरिंग प्लेटफॉर्म और लॉ–पॉलिसी फ्रेमवर्क: अलग-अलग मंत्रालयों के बीच क़ानूनी और तकनीकी समन्वय
- मानव संसाधन और क्षमता निर्माण: वेटरिनरी/ह्यूमन लैब-स्टाफ, एपिडेमियोलॉजिस्ट और फील्ड-वर्कर्स को ट्रेनिंग।
किस विभाग/संस्था के तहत और लागू कौन करेगा?
- मिशन का समन्वय ICMR (Indian Council of Medical Research), NCDC (National Centre for Disease Control) और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ होगा; प्रधानमंत्री के साइंस एडवाइज़र के कार्यालय ने भी NOHM के वैज्ञानिक-स्टियरिंग में भूमिका निभाई है। विभिन्न मंत्रालय (स्वास्थ्य, कृषि/पशुपालन, पर्यावरण/वन) के बीच समन्वय अनिवार्य होगा।
क्यों अभी — महामारी के अनुभव से क्या सीखा गया?
COVID-19, Nipah, एवियन इन्फ्लुएंजा जैसे घटनाओं ने दिखाया कि अगर मानव-पशु-पर्यावरण कड़ियाँ जल्दी नहीं तोड़ीं तो स्थानीय घटनाएँ वैश्विक महामारी बन सकती हैं। One Health मॉडल इन कड़ियों को पहचानकर त्वरित रोकथाम की अनुमति देता है। इसलिए महामारी के बाद यह मिशन न केवल तर्कसंगत बल्कि आवश्यक बना है।
इसके फायदें (Benefits) — सार्वजनिक स्वास्थ्य पर तत्काल प्रभाव
- शीघ्र खोज (early detection) → स्थानीय क्लस्टर को फैलने से रोकना।
- कम जादुई लागत — बीमारी का छोटी कड़ी में नियंत्रण सामान्यतः महामारी-स्तर पर होने वाले भारी खर्च से सस्ता पड़ता है।
- कृषि/पशुपालन सुरक्षा — पशु रोग नियंत्रण से खाद्य-सुरक्षा और किसान आय सुरक्षित रहती है।
- एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) पर प्रभावी कदम — One Health के तहत AMR पर भी कार्रवाई संभव है।
चुनौतियाँ और जोखिम (What could go wrong)
- विभागीय साइलो (siloed departments): मानव स्वास्थ्य, पशु/वन विभाग और पर्यावरण विभाग अक्सर अलग काम करते हैं — समन्वय में कमी मिशन की सफलता पर आड़े आ सकती है।
- डेटा-साझाकरण और गोपनीयता: असमान डेटा-मानक और कानूनी बाधाएँ।
- स्थानीय क्षमता की कमी: ग्रामीण/वन्य इलाकों में लैब नेटवर्क और प्रशिक्षण की ज़रूरत।
- निरंतर फंडिंग की आवश्यकता: शुरुआती फंड के बाद नियमित ऑपरेशन फंड जरूरी होगा — केवल एक-बार निवेश पर्याप्त नहीं।
आम व्यक्ति के लिए क्या बदलने वाला है — सरल संकेत
- जल्द चेतावनी सिस्टम: यदि किसी इलाक़े में पशुओं में कोई असामान्य बीमारी दिखेगी तो स्वास्थ्य विभाग पहले सूचित करेगा।
- पशु/पालतू जानवरों के लिए बेहतर वैक्सीनेशन और निगरानी → मानव जोखिम घटेगा।
- स्थानीय लैब और क्लीनिक तेज़ी से परीक्षण/रिपोर्ट दे पाएँगे।
- खाद्य सुरक्षा और डेयरी/मांस की गुणवत्ता पर निगरानी बढ़ेगी।
क्या आप, आपकी फ़ैमिली या समुदाय को क्या करना चाहिए (टिप्स)
- पालतू/पशु संपर्क के बाद साफ़-सफाई रखें; घाव/काटे पर तुरंत मेडिकल सलाह लें।
- जंगली जानवरों से दूरी बनाए रखें; मृत पशु के संपर्क में न आएँ।
- पालन पोषण-और वैक्सीनेशन को सुनिश्चित करें (पशु मालिक हों तो)।
- स्थानीय स्वास्थ्य/पशुपालन विभाग के किसी भी असामान्य रोग-प्रकरण की सूचना दें।
- कमीनी स्तर पर जागरूकता और स्कूल/कॉलेजों में One Health शिक्षा को बढ़ावा दें।
सारांश
केंद्र सरकार का National One Health Mission (₹383 करोड़) एक समयोचित, बहु-विभागीय कोशिश है ताकि मानव-पशु-पर्यावरण जुड़े जोखिमों को एक साथ देखकर नए रोगों के ‘spillover’ को रोका जा सके — क्योंकि वैश्विक साक्ष्य बताता है कि ~75% नए रोगों का स्रोत जानवर होते हैं।
