सूरजपुर l महाशिवरात्रि जिसका अर्थ शिव की महान रात है,,जहां इस दिन भगवान शिव की पुजा का विशेष महत्व होता है,इस दिन क्या स्त्री क्या पुरुष सभी लोग उपवास रह भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं,,वही इस दिन विधि विधान से पूजा करने पर भगवान शिव प्रसन्न हो सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं,,

जहां शिवरात्रि भगवान शिव और पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है,, जहां मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव निराकार रूप से साकार रूप में आए थे,,वही पौराणिक मान्यताओं की मानें तो फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव ज्योतिर्लिंग में पहली बार प्रकट हुए थे,,

जहां इन्ही सभी मान्यताओं के बीच सूरजपुर के पचिरा ग्राम में रेणुका नदी के तट पर स्वयं से प्रकट हुए भगवान सिद्धेश्वर शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए हैं,,जहां ग्रामीणों के अनुसार यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुए हैं और कोई नहीं जानता की ये कब प्रकट हुए थे वही ग्रामीण बताते हैं कि अनादि काल से ही यहां भगवान शिव की पुजा अर्चना होती आ रही है,,

जहां दुर दुर से भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं और मनोकामना पूर्ति के बाद अन्न फल वितरित कर भण्डारें का आयोजन करते हैं, जहां यहां विधी विधान से भगवान शिव को पंचामृत,भांग, धतुरा, बेलपत्र, पुष्प आदि सहित शिव के पंचाक्षर मंत्र का जाप करते नजर आते हैं,,जहां इस मंदिर में लोग संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी आते हैं,, वही मंदिर के पुजारी मनोज पाण्डेय ने इस मंदिर की महिमा का गुणगान भी किया,,,,