केंद्र सरकार ने 5 साल पहले बनाए गए चार श्रम संहिता (Labour Codes) को लागू कर दिया है, जो अब देश में श्रम कानूनों की नई व्यवस्था तय करेंगे। ये कोड्स पुराने 29 श्रम कानूनों की जगह ले रहे हैं। इनका असर संगठित क्षेत्र से लेकर गिग-इकॉनमी तक हर वर्ग के कर्मचारियों और उद्योग जगत पर पड़ेगा।

नियमों के लागू होने के साथ ही वेतन संरचना, सामाजिक सुरक्षा, ओवरटाइम, नौकरी सुरक्षा, कार्यस्थल नियम और कार्य समय में बड़े बदलाव अब प्रभावी हो गए हैं।
🔹 नए लेबर कोड्स के 20 बड़े पॉइंट्स (सिंपल और क्लियर समझ)
1️⃣ अब सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय की जाएगी, जिसमें असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी भी शामिल रहेंगे। राज्यों की मजदूरी केंद्र के तय फ्लोर वेज से कम नहीं हो सकेगी।
2️⃣ मजदूरी (Wages) की नई परिभाषा लागू — कमाई का कम से कम 50% हिस्सा बेसिक वेतन होगा, ताकि कंपनियां भत्ते बढ़ाकर वेतन छुपाकर न दिखा सकें।
3️⃣ महिलाओं और पुरुषों के लिए Equal Pay for Equal Work — भर्ती और सेवा शर्तों में लिंग-आधारित भेदभाव नहीं होगा।
4️⃣ 24,000 रुपये तक वेतन पाने वाले कर्मचारियों पर यूनिवर्सल वेज पेमेंट लागू — यानी तय समय पर वेतन मिलना सुनिश्चित।
5️⃣ ओवरटाइम पर अब नॉर्मल वेतन से 2 गुनी दर से भुगतान होगा।
6️⃣ छंटनी और उद्योग बंद करने के नियम बदले — अब 300 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों को ही सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
7️⃣ वर्क-फ्रॉम-होम को औपचारिक मान्यता — कंपनी और कर्मचारी आपसी समझ से नियम तय कर सकेंगे।
8️⃣ श्रम विवादों के निपटारे के लिए दो सदस्यीय ट्रिब्यूनल — जिससे केस तेज़ी से निपटेंगे।
9️⃣ हड़ताल से पहले अब 14 दिन का नोटिस अनिवार्य — बिना नोटिस अचानक हड़ताल नहीं होगी।
🔟 गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स (जैसे—Zomato, Ola, Swiggy डिलीवरी स्टाफ) को अब सामाजिक सुरक्षा मिलेगी। इसके लिए एग्रीगेटर्स को टैक्स देना होगा।
1️⃣1️⃣ निश्चित अवधि (Fixed-Term) कर्मचारियों को अब प्रो-राटा ग्रेच्युटी मिलेगी — 5 साल का इंतज़ार खत्म।
1️⃣2️⃣ अब नया सिस्टम — Inspector-cum-Facilitator — रैंडम और कंप्यूटराइज्ड निरीक्षण होंगे, जिससे हेरासैलेमेंट की संभावना कम होगी।
1️⃣3️⃣ छोटे अपराधों में कोर्ट कचहरी की जगह कम्पाउंडिंग सिस्टम — जुर्माना देकर मामला सुलझेगा।
1️⃣4️⃣ सभी लाइसेंस, पंजीकरण और रिटर्न अब ऑनलाइन प्रोसेस में किए जाएंगे।
1️⃣5️⃣ अब लागू होगा — One License, One Registration, One Return सिस्टम — कंपनियों की प्रक्रिया आसान होगी।
1️⃣6️⃣ सभी श्रमिकों को, चाहे संगठित हों या असंगठित — अपॉइंटमेंट लेटर अनिवार्य होगा।
1️⃣7️⃣ महिलाओं को अब रात में काम करने की अनुमति — उनकी सहमति और सुरक्षा व्यवस्था अनिवार्य।
1️⃣8️⃣ कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट अब उन संस्थानों पर लागू होगा जहाँ कम से कम 50 कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ काम करते हैं।
1️⃣9️⃣ फैक्ट्री की परिभाषा बदली —
पावर वाली यूनिट के लिए सीमा 10 से बढ़ाकर 20 कर्मचारी,
बिना पावर वाली यूनिट के लिए 20 से 40 कर्मचारी कर दी गई।
2️⃣0️⃣ काम के घंटे हफ्ते में 48 घंटे तय — चाहे एक दिन में घंटे ज्यादा हों, लेकिन ओवरटाइम की डबल पेमेन्ट अनिवार्य।
📌 इसका असर क्या होगा?
मजदूरों को अधिक सुरक्षा और सुविधा मिलेगी।
कंपनियों की कम्प्लायंस प्रक्रिया सरल होगी।
गिग इकोनॉमी के कर्मचारियों को पहली बार कानूनी सुरक्षा मिली है।
लेकिन कुछ ट्रेड यूनियनों के अनुसार इससे नौकरी सुरक्षा कम हो सकती है और कम्पनियों को हायर-एंड-फायर पॉलिसी लागू करने में आसानी होगी।
