राजनांदगांव। जिले में पिछले करीब डेढ़ माह से चल रहे विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) कार्य के समापन के बाद मतदाता सूची को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पुनरीक्षण के दौरान जहां एक ओर बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम सूची से बाहर हुए, वहीं दूसरी ओर निर्वाचन विभाग की लापरवाही भी उजागर हुई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार करीब 2900 मतदाताओं के नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज पाए गए हैं, जबकि 55 हजार से अधिक मतदाता ऐसे रहे जिन्होंने अंतिम चरण तक अपना फार्म ही जमा नहीं किया।

फार्म नहीं भरने वालों में शिफ्टिंग और मृत्यु के मामले ज्यादा
निर्वाचन आयोग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जिन मतदाताओं ने फार्म जमा नहीं किए, उनमें दूसरे स्थान पर शिफ्ट होने वाले मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। इसके अलावा मृत्यु के बाद आधार और अन्य दस्तावेज अपडेट नहीं होने के कारण भी कई नाम मतदाता सूची से बाहर हो गए हैं।
राजनांदगांव विधानसभा में सबसे ज्यादा नाम कटे
जिले में राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र से सबसे अधिक मतदाताओं के नाम कटे हैं।
- अक्टूबर माह में जिले की मतदाता सूची में 8 लाख 35 हजार 910 मतदाता दर्ज थे।
- पुनरीक्षण के बाद इनमें से 55 हजार 700 मतदाताओं के नाम हटाए गए।
- अकेले राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 हजार मतदाताओं के नाम कटे।
राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में पहले 2 लाख 17 हजार 958 मतदाता थे, लेकिन पुनरीक्षण के दौरान केवल 1 लाख 97 हजार 387 मतदाताओं के फार्म ही प्राप्त हो सके।
इनमें—
- करीब 15 हजार 500 मतदाता ऐसे हैं जो दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं।
- लगभग 2900 मतदाताओं के नाम दो या उससे अधिक स्थानों पर दर्ज पाए गए।
- मृत्यु और अन्य कारणों से भी बड़ी संख्या में नाम सूची से बाहर हुए हैं।
अन्य विधानसभा क्षेत्रों की स्थिति
अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में नाम कटे हैं—
- डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र – लगभग 13 हजार 400 मतदाता
- डोंगरगांव विधानसभा क्षेत्र – लगभग 10 हजार 400 मतदाता
- खुज्जी विधानसभा क्षेत्र – लगभग 11 हजार 200 मतदाता
आठ दिन की मोहलत में बढ़े 2300 फार्म
निर्वाचन आयोग द्वारा 4 नवंबर से घर-घर जाकर गणना पत्रक वितरित किए गए थे।
- पहले 11 दिसंबर को अंतिम तिथि निर्धारित थी।
- बाद में इसे बढ़ाकर 18 दिसंबर कर दिया गया।
इस अतिरिक्त आठ दिनों की मोहलत में करीब 2300 अतिरिक्त मतदाताओं के फार्म प्राप्त हुए। अधिकारियों के अनुसार प्रारंभिक मतदाता सूची में अब लगभग 7.80 लाख मतदाताओं के नाम शामिल रहेंगे।
दावा-आपत्ति में मिलेगा मौका
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन मतदाताओं के नाम फार्म न भर पाने के कारण छूट गए हैं, उन्हें मतदाता सूची के प्रकाशन के दौरान दावा-आपत्ति के माध्यम से नाम जोड़ने का अवसर दिया जाएगा।
‘सी वोटर्स’ सूची में रखे गए मतदाता
बीएलओ के अनुसार वर्ष 2003 की सूची में जिन मतदाताओं के नाम नहीं मिले और जिनके माता-पिता के नाम भी दर्ज नहीं थे, उनसे आवेदन लिए गए हैं।
- ऐसे सभी मतदाताओं को फिलहाल ‘सी वोटर्स’ की सूची में रखा गया है।
- इन लोगों को नोटिस जारी किए जाएंगे।
- आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद नाम जोड़ने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
निष्कर्ष
एसआईआर के बाद सामने आए आंकड़ों ने जिले की मतदाता सूची व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां डबल नाम, बड़े पैमाने पर नाम कटना और फार्म न भर पाने की समस्या उजागर हुई है, वहीं निर्वाचन आयोग ने भरोसा दिलाया है कि दावा-आपत्ति की प्रक्रिया के जरिए सभी पात्र मतदाताओं को सूची में शामिल किया जाएगा। अब नजरें अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन पर टिकी हैं।
